"वैश्वीकरण": अवतरणों में अंतर

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हाल ही के आर्थिक वैश्वीकरण के आलोचकों के अनुसार इन प्रक्रियाओं के परिणाम स्वरुप देशों के बीच और उनके भीतर आय की असमानता बढ़ रही है.2001 मे लिखे गए एक लेख से पता चला है कि 2001 में समाप्त हो रहे पिछले 20 वर्षों के दौरान 8 मेट्रिक्स में से 7 में आय में असमानता बढ़ी है.इसके साथ ही,''दुनिया के निचले तबके में 1980 के दशक के बाद से आय वितरण में संभवत: बिल्कुल कमी हो गई है''.इसके अलावा, निरपेक्ष गरीबी पर विश्व बैंक के आंकड़ों को चुनौती दी गई है. लेख में विश्व बैंक के इस दावे पर संशय व्यक्त किया गया है कि वे लोग जो प्रतिदिन एक डॉलर से कम पर जीवित रह रहे हैं, उनकी संख्या 1987 से 1998, में पक्षपाती पद्धति की वजह से 1.2 बिलियन पर स्थिर हो गई है<ref>वेड , रॉबर्ट हंटर .'विश्व आय वितरण में बढती हुई असमानता',वित्त एवं विकास, वॉल्यूम 38, NO 4 दिसम्बर 2001 </ref>
 
एक चार्ट जिसने असमानता को बहुत ही दृश्य और सरल रूप दिया,तथाकथित 'शैंपेन गिलास' प्रभाव है.<ref>[http://archive.is/20120711152253/findarticles.com/p/articles/mi_m1141/is_n13_v31/ai_16531823 ज़ेबियर गोरोस्टिगा ,''"विश्व एक 'शैंपेन का गिलास' बन गया है जिसे वैश्वीकरण कुछ एक संपत्तिवानों से भर देगा' राष्ट्रीय कैथोलिक रिपोर्टर, 27 जनवरी, 1995.]</ref>
इसमें 1992 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की रिपोर्ट शामिल थी, जिसने वैश्विक आय के वितरण को बहुत ही असमान दिखाया, इसमें दुनिया की आबादी के सबसे अमीर 20% दुनिया की आय के 82,7% को नियंत्रित करते हैं.<ref>संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम. 1992मानव विकास रिपोर्ट , 1992 ( न्यू यार्क , ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ) </ref>