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* [[करणपद्धति]] में [[पाई]] का मान (पन्द्रहवीं शताब्दी में रचित ग्रन्थ)
: अनूननून्नानननुन्ननित्यै-
: स्समाहताश्चक्रकलाविभक्ताः
: चण्डांशुचन्द्राधमकुंभिपालैर्-
: व्यासस्तदर्द्धं त्रिभमौर्विक स्यात्
* [[सदरत्नमाला]] में पाई का मान
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