"विजयराघवगढ़": अवतरणों में अंतर
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यह ऐतिहासिक स्थल कटनी से लगभग 30 किमी. दूर है। राजा प्रयागदास के काल में यह एक विशाल और लोकप्रिय नगर था। विजयराघवगढ़ किला यहां का मुख्य आकर्षण है। भगवान विजयराघव को समर्पित एक मंदिर भी यहां देखा जा सकता है।मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर विजयराघवगढ़ -बरही सड़क मार्ग पर पूर्व मेँ कटनी की जीवनरेखा ' छोटी महानदी ' बहती है.यहाँ देवी सारदा का मंदिर है . जिसका महत्व मैहर की देवी सारदा के समान माना जाता है. रियासत के किशोर राजा सरयूप्रतापसिंह ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ़ विद्रोह कर दिया था. प्रमुख सहायक सरदार बहादुर ख़ान को लेकर मुड़वारा कटनी मेँ अंग्रेजोँ से मुक़ाबला किया . किशोर राजा को सुरक्षित कर बहादुरखान ने अपने प्राणोँ का बलिदान कर वफ़ादारी की मिसाल कायम की . आज भी कटनी मेँ महिला महाविद्यालय के बाजू मेँ शहीद की मज़ार है . यह युद्ध प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की अवधि मेँ हुआ. मूड़ वारे यानी सिर काटे थे अंग्रेजोँ ने यहाँ भारतीयोँ के इसलिए कटनी का पश्चिमी दक्षिणी भाग ' मुड़वारा' के नाम से राजस्व अभिलेखोँ मेँ लिखा जाने लगा था. ठाकुर जगमोहनसिंह इसी राजपरिवार के कवि थे. इनका लिखा काव्य उपन्यास ' श्यामा स्वप्न ' भारतेंदुकालीन महत्वपूर्ण काव्यकृति है. विजयराघवगढ़ का किला आज अपने अवशेष रूप मेँ भी अपने गौरवशाली अतीत की शौर्य गाथा सुनाता पुरातत्व विभाग के संरक्षण मेँ है.
बिलहेरी
from Chakradhar Tiwari
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