94,105
सम्पादन
अनुनाद सिंह (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: '''कामंदकीय नीतिसार''' राज्यशास्त्र का एक संस्कृत ग्रं...) |
अनुनाद सिंह (चर्चा | योगदान) |
||
'''कामंदकीय नीतिसार''' [[राजनीति|राज्यशास्त्र]] का एक [[संस्कृत]] ग्रंथ है। इसके रचयिता का नाम 'कामंदकि' अथवा 'कामंदक' है जिससे यह साधारणत: 'कामन्दकीय' नाम से प्रसिद्ध है। वास्तव में यह ग्रंथ [[कौटिल्य]] के [[अर्थशास्त्र ग्रन्थ|अर्थशास्त्र]] के सारभूत सिद्धांतों (मुख्यत: राजनीति विद्या) का प्रतिपादन करता है।
कामन्दकीय में कुल मिलाकर
==रचनाकाल==
इसके रचनाकाल के विषय में कोई स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है। [[विंटरनित्स]] के मतानुसार किसी कश्मीरी कवि ने इसकी रचना ईस्वी ७००-७५० के बीच की। डा. [[
इसके कर्ता कामंदकि या कामंदक कब और कहाँ हुए, इसका भी कोई पक्का प्रमाण नहीं मिलता। इतना अवश्य ज्ञात होता है कि ईसा की सातवीं शताब्दी के प्रसिद्ध [[नाटक]]कार [[भवभूति]] से पूर्व इस ग्रंथ का रचयिता हुआ था, क्योंकि भवभूति ने अपने नाटक '[[मालतीमाधव]]' में नीतिप्रयोगनिपुणा एक परिव्राजिका का 'कामंदकी' नाम दिया है। संभवत: नीतिसारकर्ता 'कामंदक' नाम से रूढ़ हो गया है तथा नीतिसारनिष्णात व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होने लगा था।
==बाहरी कड़ियाँ==
*[https://archive.org/details/kamandakiyaniti00kmgoog Kamandakiya Nitisara; Or, The Elements of Polity, in English]
*[http://spiritualsbooks.blogspot.in/2011/06/nitisara-by-kamandaki-sanskrit-text.html The Nitisara by Kamandaki: Sanskrit Text with English Translation]
[[श्रेणी:संस्कृत ग्रन्थ]]
|