"रूसो": अवतरणों में अंतर

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उसकी मुख्य रचनाएँ ये हैं-
 
1. डिस्कोर्स ऑन दि आरिजिन ऑव इनईक्वैलिटी;
 
2. इकानामी पालिटिक;
 
3. दि सोशल कंट्रैक्ट ;
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== रूसो का चरित्र व दर्शन ==
किसी भी विचारक का दर्शन उसके जीवन से अलग नहीं किया जा सकता। कितु रूसो को समझने के लिए उसकी चारित्रिरक विशेषताएँ तथा दुबर्लताएँ विशेष रूप से ज्ञातव्य हैं। अपने व्यक्ति्तगत दोषों के लिए समाज को उत्तरदायी ठहराकर रूसो ने न केवल अपने को निरपराध बल्कि मनुष्यमात्र को निसर्गत: नेक और विशुद्धात्मा बताया। पेरिस की भौतिकवादी सभ्यता के कृत्रिम वातावरण को अपने स्वभाव के प्रतिकूल पाकर उसने प्राकृतिक अवस्था के सरल जीवन की कल्पना की। शिक्षित और सभ्य समाज के साथ अपने व्यक्तित्व का सामंजस्य वह कभी नहीं स्थापित कर पाया। उसके जीवन के अंतिम वर्ष दैहिक संताप, मानसिक विषाद, काल्पनिक भय, विक्षोभ तथा उन्माद के आवेग से पूर्ण थे। बाल्यावस्था से ही वह चरित्रहीन था। कितु वासनाओं का दास होते हुए भी उसमें उदात्त भावनाओं का अभाव नहीं था। उसकी कृतियाँ उसकी सहज अनुभूतियों की अभिव्यक्ति हैं। इसीलिए वे इतनी मर्मस्पर्शनी तथा प्रभावोत्पादक हैं।
 
आधुनिक सभ्यता के दोषों का वर्णन करते हुए रूसो अपने समय के अन्य विचारकों की भाँति प्राकृतिक और रूढि़गत का अंतर प्रस्तुत करता है। किन्तु प्राकृतिक अवस्था की कल्पना उसके राज्य संबंधी विचारों की पुष्टि के लिए अनावश्यक सी है। रूसो के अनुसार प्राकृतिक अवस्था में जीवन सरल था। बुद्धि तथा भाषा का विकास नहीं हुआ था। मनुष्य अपनी सहज प्रवृत्तियों के अनुसार आचरण करता था। वह नैतिकता अनैतिकता से परे था। उसे न हम सुखी कह सकते हैं, न दु:खी। यह अवस्था रूसो का आदर्श नहीं है। वह बुद्धि तथा भावना का सामंजस्य चाहता है जो प्राकृतिक अवस्था के विकास की दूसरी मंजिल है। यह प्रारम्भिक जीवन की सरल निष्क्रियता तथा वैज्ञानिक सीयता की विषाक्त जटिलता के बीच की स्थिति है। भाषा का विकास, सामाजिक सहयोग, शांति और सौहार्द्र, इसकी विशेषताएँ हैं। धीरे-धीरे बुद्दि भावनाओं को पराभूत कर लेती है और श्रद्धा, विश्वास प्रेम तथा दया का स्थान अविश्वास, वैमनस्य, स्वार्थ ले लेते हैं। व्यक्तिगत संपत्ति का आविर्भाव होता है और मनुष्य दासता की शृंखला में जकड़ जाता है। आर्थिक शोषण तथा सामाजिक अत्याचार के कारण उसका व्यक्ति नष्ट हो जाता है। इस वर्णन में फ्रांस की राज्यक्रांति के पूर्व की अवस्था प्रतिबिम्बित है। इसी स्थिति से मक्ति पाने के लिए सामाजिक प्रसंविदा की आवश्यकता होती है।
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* [http://www.c18th.com/author-works.aspx?id=4 Jean-Jacques Rousseau Bibliography]
 
[[श्रेणी:जीवनीव्यक्तिगत जीवन]]
[[श्रेणी:दार्शनिक]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/रूसो" से प्राप्त