"पंक": अवतरणों में अंतर

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[[श्रेणी:संस्कृति]]
कीचड़ का काव्य पाठ में लेखक ने कीचड़ के गुणों व महत्व का वर्णन किया है। उसके अनुसार लोग कीचड़ को देखकर मुहँ बिगाड़ने लगते हैं, नाक को सिकोड़ने लगते हैं परन्तु यह भुल जाते हैं की यह कीचड़ कितनों गुणों से भरा हुआ है, हमारे लिए यह कितना उपयोगी है। उसके अनुसार कीचड़ में ही कमल का फूल खिलता है, जिसे हम भगवान पर चढ़ाते हैं। कीचड़ के कारण ही हमारे लिए अन्न की व्यवस्था हो पाती है क्योंकि यह कीचड़ में से ही उगता है। आधुनिक जीवन में तो लोग कीचड़ के समान रंग को अपनी दीवारों पर लगवाते हैं, कार्ड पर, किताबों पर व कीमती फूलदान आदि पर इसी रंग को लगवाना पसंद करते हैं। उसे वह कला का सुंदर रूप मानते हैं। फिर कीचड़ से घृणा क्यों की जाती है। लेखक को कीचड़ की लोगों द्वारा इस अनदेखी पर बहुत दुख होता है। वह यही कोशिश करता है की इस पाठ को पढ़ लेने के बाद लोग शायद कीचड़ के विषय में अपनी सोच बदल लेगें।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/पंक" से प्राप्त