"मुहावरा": अवतरणों में अंतर

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जब मनुष्य प्रबल भावावेश में होते हैं तब उनके मुंह से कुछ अस्पष्ट ध्वनियां निकल जाती हैं जो बाद में किसी एक अर्थ में रूढ़ हो जाती हैं और मुहावरे कहलाने लगती हैं। ऐसे कुछ भावावेशों और उनमें निकली हुई ध्वनियों के आधार पर बने हुए मुहावरों के उदाहरण निम्नांकित हैं :
 
:(क) '''हर्ष में''' : आह-हा, वाह-वाह, आदि।
 
:(ख) '''दुःख में''' : आह निकल पड़ना, सी-सी करना, हाय-हाय मचाना, आदि।
 
:(ग) '''क्रोध में''': उंह-हूं करना, धत् तेरे की, आदि।
 
:(घ) '''घृणा में''' : छि-छि करना, थू-थू करना।
 
=== मनुष्येतर चैतन्य सृष्टि की ध्वनियों पर आधारित मुहावरे ===