"रैंकोजी मन्दिर": अवतरणों में अंतर
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कुछ लोगों का यह मानना है कि [[फैजाबाद]] में लम्बे समय तक रहते हुए वहीं पर अन्तिम साँस लेने वाले गुमनामी बाबा ही वास्तव नेताजी सुभाषचन्द्र बोस थे, जो वेश बदलकर वहाँ रह रहे थे। जब यह मामला [[इलाहाबाद उच्च न्यायालय]] ले जाया गया तो इलाहाबाद हाई कोर्ट की [[लखनऊ]] बेंच ने इस बात पर हैरानी जतायी कि [[सरकार]] ने तोक्यो के रैंकोजी मन्दिर में रखी राख का [[डीएनए|डीएनए टेस्ट]] क्यों नहीं कराया।<ref>{{cite web|url=http://navbharattimes.indiatimes.com/lucknow/other-news/allahabad-high-court-seeks-probe-into-identity-of-man-believed-to-have-been-netaji/articleshow/18282887.cms |title=नेताजी सुभाष चंद्र बोस समझे जाने वाले गुमनामी बाबा की पहचान ढूंढी जाए: हाई कोर्ट|date=1 फरवरी, 2013|publisher=[[नवभारत टाइम्स]]|quote=कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि सरकार ने तोक्यो के रेंकोजी मेंदिर में रखी राख का डीएनए टेस्ट क्यों नहीं कराया। इस टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता था कि वह राख नेताजी की है या नहीं। इसके बाद बेंच ने केंद्र सरकार द्वारा जस्टिस एम.के. मुखर्जी कमिशन की रिपोर्ट को रिजेक्ट करने पर भी सवाल उठाए। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि नेता जी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई और न ही तोक्यो के मंदिर में रखी राख उनकी है।|accessdate=17 अक्तूबर 2013}}</ref>
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==सन्दर्भ==
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