"रैंकोजी मन्दिर": अवतरणों में अंतर

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==विवाद का हल==
[[चित्र:Subhas Bose with his wife.png|thumb|left|200px|नेताजी का उनकी [[पत्नी]] एमिली शैंकी के साथ एक दुर्लभ [[फोटो]] (विकीमीडिया कॉमंस से साभार)]]
सन् 1933 से 1936 तक सुभाषचन्द्र बोस [[यूरोप]] में रहे। सन् 1934 में जब वे [[ऑस्ट्रिया]] में अपना इलाज कराने गये थे उस दौरान उनके सम्पर्क में एमिली शेंकी ([[अंग्रेजी भाषा|अं]]: Emilie Schenkl) नामक एक ऑस्ट्रियन महिला आयी। बाद में उन्होंने सन् 1942 में [[हिन्दू|हिन्दू रीति रिवाज]] पद्धतिके सेअनुसार एमिली से विवाह कर लिया। [[वियेना]] में एमिली ने एक पुत्री को जन्म दिया जिसका नाम अनिता बोस रखा गया। अगस्त 1945 में [[ताइवान]] में हुई तथाकथित विमान दुर्घटना में जब सुभाष की मौत हुई, अनिता पौने तीन साल की थी।<ref>{{cite news|url=http://www.rediff.co.in/news/2005/may/11inter1.htm|accessdate=17 अक्तूबर 2013}}</ref> नेताजीबोस की पुत्रीबेटी अनिता विवाहित है और अभी जीवित है। उसका नाम अनिता बोस फाफ ([[अंग्रेजी भाषा|अं]]: Anita Bose Pfaff) है। वह अपने पिता (सुभाषचन्द्र बोस) के परिवार जनों से मिलने हेतु कभी कभार भारत-भ्रमण भी करती रहती है।
 
[[मीडिया|सोशल मीडिया]] पर कुछ बुद्धिजीवियों ने यह सुझाव पेश किया था कि रैंकोजी मन्दिर परिसर के पैगोडा में रखी नेताजीसुभाष की अस्थियाँ जापान सरकार से भारत मँगा ली जायें।जायें साथ ही साथऔर उनकी पुत्री अनिता बोस फाफ को भी भारत बुला लिया जाये और नेताजी कीबुलाकर अस्थियों का उसके साथ [[डीएनए]] टेस्ट करा लिया जाये। इससे '''नेताजी विमान दुर्घटना में मरे अथवा नहीं मरे''' इस विवाद का अन्त हो जायेगा और [[हिन्दू]] परम्परा के अनुसार [[पिता]] की अस्थियों को [[गंगा नदी]] में विसर्जित करने की उनकी [[पुत्री]] अनिता की इच्छा भी पूरी हो जायेगी। [[जी न्यूज]] टीवी चैनेल को दिये एक साक्षात्कार (इण्टरव्यू) में नेताजी की पुत्री (अनिता बोस फाफ) अपनी यह इच्छा व्यक्त भी कर चुकी हैं।है।<ref>{{cite web|url=http://zeenews.india.com/news/nation/netaji-s-ashes-should-be-immersed-in-river-ganges-wishes-daughter_826629.html |title=Netaji's ashes should be immersed in River Ganges, wishes daughter |trans_title=नेताजी की अस्थियाँ गंगा नदी में विसर्जित की जायँ - पुत्री की इच्छा |date= 03 फरवरी, 2013 |publisher=जी न्यूज़ इण्डिया डॉट कॉम|language=अंग्रेजी|quote=The government of India did try to bring back the ashes from Tokyo but I have a feeling that whichever political party was in power did not try enough to bring it back. There are many people in India who would have wanted Netaji’s ashes to be brought back to his own country|accessdate=17 अक्तूबर 2013}}</ref>
 
कुछ लोगों का यह मानना है कि [[फैजाबाद]] में लम्बे समय तक रहते हुए वहीं पर अन्तिम साँस लेने वाले गुमनामी बाबा ही वास्तव नेताजी सुभाषचन्द्र बोस थे, जो वेश बदलकर वहाँ रह रहे थे। जब यह मामला [[इलाहाबाद उच्च न्यायालय]] ले जाया गया तो इलाहाबाद हाई कोर्ट कीउसकी [[लखनऊ]] बेंच ने इस बात पर हैरानी जतायी कि [[भारत सरकार]] ने तोक्यो[[जापान]] के रैंकोजी मन्दिर में रखी राख का [[डीएनए|डीएनए टेस्ट]] अभी तक क्यों नहीं कराया।कराया?<ref>{{cite web|url=http://navbharattimes.indiatimes.com/lucknow/other-news/allahabad-high-court-seeks-probe-into-identity-of-man-believed-to-have-been-netaji/articleshow/18282887.cms |title=नेताजी सुभाष चंद्र बोस समझे जाने वाले गुमनामी बाबा की पहचान ढूंढी जाए: हाई कोर्ट|date=1 फरवरी, 2013|publisher=[[नवभारत टाइम्स]]|quote=कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि सरकार ने तोक्यो के रेंकोजी मेंदिरमंदिर में रखी राख का डीएनए टेस्ट क्यों नहीं कराया। इस टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता था कि वह राख नेताजी की है या नहीं। इसके बाद बेंच ने केंद्र सरकार द्वारा जस्टिस एम.के. मुखर्जी कमिशन की रिपोर्ट को रिजेक्ट करने पर भी सवाल उठाए। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि नेता जी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई और न ही तोक्यो के मंदिर में रखी राख उनकी है।|accessdate=17 अक्तूबर 2013}}</ref>
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==सन्दर्भ==
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