"हाइड्रोक्लोरिक अम्ल": अवतरणों में अंतर

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==गुण ==
===भौतिक गुण==
हाइड्रोजन क्लोराइड वर्णहीन, तीव्र गंधवाली गैस है। ० डिग्री सें. और १ वायुमंडलीय दबाव पर एक लिटर गैस का भार १.६३९ ग्राम होता है। द्रव का क्वथनांक -८५डिग्री से. और हिमांक -११४ डिग्री, क्रांतिक ताप ५२डिग्री५२ डिग्री से. और क्रांतिक दबाव ९० वायुमंडलीय है। यह जल में अतिविलेय है। शून्य डिग्री से. पर एक आयतन जल ५०६ आयतन गैस और २० डिग्री से. पर ४७७ आयतन का घुलता है। गैस के घुलने से ऊष्मा निकलती है। आर्द्र वायु में यह धूम (धुँआ) देती है। इसका विलयन स्थायी क्वथनांक वाला द्रव, क्वथनांक ११०डिग्री, बनता है। ऐसे द्रव में हाइड्रोजन क्लोराइड २०.२४ प्रतिशत रहता है।
 
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रसायन की दृष्टि से यह एक प्रबल अम्ल है। अनेक धातुओं, जैसे सोडियम, लोहा, जस्ता, बंग आदि को आक्रांत कर क्लोराइड बनाता और हाइड्रोजन उन्मुक्त करता है। धातुओं के आक्साइडों और हाइड्राक्साइडों को आक्रांत कर धातुओं का क्लोराइड बनाता और जल उन्मुक्त करता है। यह सरलता से आक्सीकृत हो क्लोरीन मुक्त करता है। मैंगनीज डाइआक्साइड पर हाइड्रोजनक्लोराइड की क्रिया से [[क्लोरीन]] निकलता है।
|-
! colspan=3| [[सांद्रता]]
! [[घनत्व]]
! [[मोलरता]]
! [[पीएच]] (pH)
! [[श्यानता]]
! [[विशिष्ट<br />ऊष्मा]]
! [[वाष्पदाब]]
! [[क्वथनांक]]
! [[द्रवणांक]]
|-
! kg&nbsp;HCl/kg&nbsp;
! kg&nbsp;HCl/m<sup>3</sup>
! बौमे (Baumé)
! kg/L
! mol/dm<sup>3</sup>
!
! mPa·s
! kJ/(kg·K)
! kPa
! °C
! °C
|-
! 10%
| 104.80 || 6.6 || 1.048 || 2.87 || −0.5 || 1.16 || 3.47 || 1.95 || 103|| −18
|-
! 20%
| 219.60 || 13 || 1.098 || 6.02 || −0.8 || 1.37 || 2.99 || 1.40 || 108 || −59
|-
! 30%
| 344.70 || 19 || 1.149 || 9.45 || −1.0 || 1.70 || 2.60 || 2.13 || 90 || −52
|-
! 32%
| 370.88 || 20 || 1.159 || 10.17 || −1.0 || 1.80 || 2.55 || 3.73 || 84 || −43
|-
! 34%
| 397.46 || 21 || 1.169 || 10.90 || −1.0 || 1.90 || 2.50 || 7.24 || 71 || −36
|-
! 36%
| 424.44 || 22 || 1.179 || 11.64 || −1.1 || 1.99 || 2.46 || 14.5 || 61 || −30
|-
! 38%
| 451.82 || 23 || 1.189 || 12.39 || −1.1 || 2.10 || 2.43 || 28.3 || 48 || −26
|-
| colspan=11|इस सारणी के लिए सन्दर्भ ताप व दाब क्रमशः 20&nbsp;°C तथा 1 वायुमण्डल (101.325&nbsp;kPa) हैं।
|}</center>
 
===रासायनिक गुण===
सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल चमड़े को जलाता और शोथ उत्पन्न करता है। तनु अम्ल अपेक्षया निर्दोष होता है।
रसायन की दृष्टि से यह एक प्रबल अम्ल है। अनेक धातुओं, जैसे [[सोडियम]], [[लोहा]], [[जस्ता]], [[बंग]] आदि को आक्रांत कर क्लोराइड बनाता और [[हाइड्रोजन]] उन्मुक्त करता है। धातुओं के आक्साइडों और हाइड्राक्साइडों को आक्रांत कर धातुओं का क्लोराइड बनाता और [[जल]] उन्मुक्त करता है। यह सरलता से आक्सीकृत हो क्लोरीन मुक्त करता है। मैंगनीज डाइआक्साइड पर हाइड्रोजनक्लोराइड की क्रिया से [[क्लोरीन]] निकलता है।
 
सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल [[चमड़ा|चमड़े]] को जलाता और शोथ उत्पन्न करता है। तनु अम्ल अपेक्षया निर्दोष होता है।
[[नाइट्रिक अम्ल]] के साथ मिलकर (HNO<sub>३</sub> : HCl :: (3:1 अनुपात में) यह [[अम्लराज]] (aquaregia) बनता है जिसमें नाइट्रोसिल क्लोराइड (NOCl) रहता है जो अन्य धातुओं के साथ साथ [[प्लैटिनम]] और [[स्वर्ण]] को भी आक्रांत करता है। ये दोनों उत्कृष्ट धातुएँ अन्य किसी एक अम्ल से आक्रांत नहीं होती हैं।
 
[[नाइट्रिक अम्ल]] के साथ मिलकर (HNO<sub>3</sub> : HCl :: (3:1 अनुपात में) यह [[अम्लराज]] (aquaregia) बनता है जिसमें नाइट्रोसिल क्लोराइड (NOCl) रहता है जो अन्य धातुओं के साथ साथ [[प्लैटिनम]] और [[स्वर्ण]] को भी आक्रांत करता है। ये दोनों उत्कृष्ट धातुएँ अन्य किसी एक अम्ल से आक्रांत नहीं होती हैं।
 
==उपयोग==