"योगासन": अवतरणों में अंतर
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(15) योगासन से शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता है, जिससे शरीर पुष्ट, स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनता है। आसन शरीर के पांच मुख्यांगों, स्नायु तंत्र, रक्ताभिगमन तंत्र, श्वासोच्छवास तंत्र की क्रियाओं का व्यवस्थित रूप से संचालन करते हैं जिससे शरीर पूर्णत: स्वस्थ बना रहता है और कोई रोग नहीं होने पाता। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक सभी क्षेत्रों के विकास में आसनों का अधिकार है। अन्य व्यायाम पद्धतियां केवल वाह्य शरीर को ही प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं, जब कि योगसन मानव का चहुँमुखी विकास करते हैं।
(16) योगासन से शरीर की [http://www.onlymyhealth.com/%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%9B%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C-1291191340 त्वचा] भी निखरती है |
== आसन की शुरुआत से पूर्व ==
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