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गोदावरी नदी, आंध्र प्रदेश
 
कुछ विद्वानों के अनुसार, इसका नामकरण तेलुगु भाषा के शब्द 'गोद' से हुआ है, जिसका अर्थ मर्यादा होता है। एक बार महर्षि गौतम ने घोर तप किया। इससे रुद्र प्रसन्न हो गए और उन्होंने एक बाल के प्रभाव से गंगा को प्रवाहित किया। गंगाजल के स्पर्श से एक मृत गाय पुनर्जीवित हो उठी। इसी कारण इसका नाम गोदावरी पड़ा। गौतम से संबंध जुड जाने के कारण इसे गौतमी भी कहा जाने लगा। इसमें नहाने से सारे पाप धुल जाते हैं। गोदावरी की सात धारा वसिष्ठा, कौशिकी, वृद्ध गौतमी, भारद्वाजी, आत्रेयी और तुल्या अतीव प्रसिद्ध है। पुराणों में इनका वर्णन मिलता है। it is called as Dakshin Ganga. इन्हें महापुण्यप्राप्ति कारक बताया गया है-
<poem>
<big>सप्तगोदावरी स्नात्वा नियतो नियताशन: ।
महापुण्यमप्राप्नोति देवलोके च गच्छति ॥</big>
</poem>
 
== संदर्भ ==