"स्पेक्ट्रोस्कोपी": अवतरणों में अंतर

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== स्पेक्ट्रमदर्शी के उपयोग ==
*(1.) '''स्पेक्ट्रमी रासायनिक विश्लेषण''' : आर्क या स्फुलिंग द्वारा किसी पदार्थ को उत्तेजित करके उसके स्पेक्ट्रम द्वारा यह जाना जा सकता है कि उक्त पदार्थ किन-किन तत्वों से बना है तथा इसमें उनका अनुपात क्या है। ऐसे विश्लेषण से किसी तत्व की अत्यंत सूक्ष्म मात्रा का अनुपात ज्ञात किया जा सकता है। किसी धातु में दूसरी धात्वीय अशुद्धि यदि 0.0010% तक है तब भी इसका पता लगाया जा सकता है। रासायनिक रीतियों से यह संभव नहीं है।
 
*(2.) अणु-परमाणुओं की आंतरिक रचना ज्ञात की जाती है।
 
*(3.) नाभिकीय भ्रमि (Nuclear spin) और समस्थानिकों का पता सुविधापूर्वक लगाया जा सकता है।
 
*(4.) द्विपरमाणुक पदार्थों के चुंबकीय गुणों का पता लगाया जाता है।
 
*(5.) जहाँ सीधी रीतियों से ताप ज्ञात करना संभव नहीं है वहाँ स्पेक्ट्रमदर्शी की रीति अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है। स्पेक्ट्रम की रेखाओं की दीप्ति नापकर उनके स्रोत का ताप बताया जा सकता है।
 
*(6.) पदार्थों के ऊष्मागतिक (Thermodynamical) गुणों की गणना भी स्पेक्ट्रमदर्शी की रीति से की जा सकती है।
 
*(7.) बहुत से ऐसे "रेडिकल" या परमाणुसमूह, जिनका बनना रासायनिक क्रियाओं द्वारा असंभव है और जो मुक्त रूप में नहीं बन सकते, उनका अध्ययन भी स्पेक्ट्रमदर्शी में बहुधा अत्यंत सरल है। क् ग़् और ग्र् क्त मूलक स्वतंत्र रूप में कभी नहीं पाए जाते हैं पर स्पेक्ट्रोदर्शी की रीतियों से इनका यथेष्ट अध्ययन किया गया है। तारों का ताप और उनकी बनावट का ज्ञान भी स्पेक्ट्रमदर्शी की विधियों से ही प्राप्त किया जाता है।
 
==इन्हें भी देखें==
* [[एक्स-किरण स्पेक्ट्रमिकी]] (एक्स-रे स्पेक्स्ट्रोस्कोपी)
 
== बाहरी कड़ियाँ ==