"इला रमेश भट्ट": अवतरणों में अंतर

No edit summary
पंक्ति 66:
 
==जीवन परिचय==
7 सितम्बर, 1933 को [[अहमदाबाद]] में जन्मी इला भट्ट का बचपन [[सूरत]] शहर में बीता जहाँ इनके पिता सुमत भट्ट एक सफल वकील थे। माँ वनलीला व्यास महिलाओं के आंदोलन में सक्रिय थीं। भारत के स्वाधीनता संग्राम में इला भट्ट के परिवार के सदस्यों ने भी भाग लिया था। उनके नाना [[महात्मा गाँधी]] के [[नमक सत्याग्रह]] में शामिल थे और इसके लिए जेल भी गये थे। 1952 में इला सूरत के एमटीबी महाविद्यालय से कला में स्नातक हुईं और फिर अहमदाबाद से 1954 में कानून की पढ़ाई पूरी की जहाँ उन्हें हिंदू कानून पर अपने काम के लिए स्वर्ण पदक भी दिया गया। कुछ दिनों के लिए उन्होंने श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरे महिला विश्वविद्यालय, मुम्बई में अंग्रेज़ी पढ़ाने का काम किया। अपनी स्नातक उपाधि की पढ़ाई के दौरान इला की मुलाकात एक निडर छात्र नेता रमेश भट्ट से हुई। 1951 मे भारत की पहली जनगणना के दौरान मैली-कुचैली बस्तियों में रहने वाले परिवारों का विवरण दर्ज करने के लिए रमेश भट्ट ने इला को अपने साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया तो इला ने बहुत संकोच से इसके लिए सहमत हुईं। उन्हें पता था कि उनके माता-पिता अपनी बेटी को एक अनजान युवक के साथ गंदी बस्तियों में भटकते देखना हरगिज़ पसंद नहीं करेंगे। बाद में जब इला ने रमेश भट्ट से शादी करने का निश्चय किया तो माता-पिता ने विरोध किया। उन्हें डर था कि उनकी बेटी आजीवन ग़रीबी में ही रहेगी। इतने विरोध के बावजूद भी इला ने सन् 1955 में रमेश भट्ट विवाह कर लिया। 1955 इला अहमदाबाद कपड़ा कामगार संघ के कानूनी विभाग में शामिल हुईं। भारत के श्रमिक आंदोलन और मज़दूर संघों पर आज पुरुषों का एकाधिकार बना हुआ है। लेकिन भारत में पहला मज़दूर संघ स्थापित करने वाली भी एक महिला [[अनसुइया साराभाई]] थीं। इसी कपड़ा कामगार संघ के 1954 में स्थापित महिला प्रकोष्ठ का नेतृत्व 1968 में इला भट्ट ने सँभाला।
7 सितम्बर, 1933 को [[अहमदाबाद]] में जन्मी इला भट्ट
का बचपन [[सूरत]] शहर में बीता जहाँ इनके पिता सुमत भट्ट एक
सफल वकील थे। माँ वनलीला व्यास महिलाओं के आंदोलन
में सक्रिय थीं। भारत के स्वाधीनता संग्राम में इला भट्ट के
परिवार के सदस्यों ने भी भाग लिया था। उनके नाना [[महात्मा
गाँधी]] के [[नमक सत्याग्रह]] में शामिल थे और इसके लिए जेल
भी गये थे। 1952 में इला सूरत के एमटीबी महाविद्यालय से
कला में स्नातक हुईं और फिर अहमदाबाद से 1954 में कानून
की पढ़ाई पूरी की जहाँ उन्हें हिंदू कानून पर अपने काम के
लिए स्वर्ण पदक भी दिया गया। कुछ दिनों के लिए उन्होंने
श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरे महिला विश्वविद्यालय, मुम्बई
में अंग्रेज़ी पढ़ाने का काम किया। अपनी स्नातक उपाधि की
पढ़ाई के दौरान इला की मुलाकात एक निडर छात्र नेता रमेश
भट्ट से हुई। 1951 मे भारत की पहली जनगणना के दौरान
मैली-कुचैली बस्तियों में रहने वाले परिवारों का विवरण दर्ज
करने के लिए रमेश भट्ट ने इला को अपने साथ काम करने
के लिए आमंत्रित किया तो इला ने बहुत संकोच से इसके
लिए सहमत हुईं। उन्हें पता था कि उनके माता-पिता अपनी
बेटी को एक अनजान युवक के साथ गंदी बस्तियों में भटकते
देखना हरगिज़ पसंद नहीं करेंगे। बाद में जब इला ने रमेश
भट्ट से शादी करने का निश्चय किया तो माता-पिता ने विरोध
किया। उन्हें डर था कि उनकी बेटी आजीवन ग़रीबी में ही
रहेगी। इतने विरोध के बावजूद भी इला ने सन् 1955 में रमेश
भट्ट विवाह कर लिया। 1955 इला अहमदाबाद
कपड़ा कामगार संघ के कानूनी विभाग में शामिल हुईं।
भारत के श्रमिक आंदोलन और मज़दूर संघों पर आज
पुरुषों का एकाधिकार बना हुआ है। लेकिन भारत में पहला
मज़दूर संघ स्थापित करने वाली भी एक महिला [[अनसुइया
साराभाई]] थीं। इसी कपड़ा कामगार संघ के 1954 में स्थापित
महिला प्रकोष्ठ का नेतृत्व 1968 में इला भट्ट ने सँभाला।
 
==कार्य==