"राधेश्याम कथावाचक": अवतरणों में अंतर

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[http://dainiktribuneonline.com/2012/11/%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7-%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%95-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE/ शीर्ष कथावाचक और रंगकर्मी पंडित राधेश्याम] 24 नवम्बर 2012 [[दैनिक ट्रिब्यून]], अभिगमन तिथि: 26 दिसम्बर, 2013</ref>
==कृतियाँ==
राधेश्याम कथावाचक ने [[राधेश्याम रामायण|रामायण]] के अतिरिक्त अनेक [[नाटक]] भी लिखे। एक समय ऐसा भी था जब उनके नाटकों ने [[पेशावर]], [[लाहौर]] और [[अमृतसर]] से लेकर [[दिल्ली]], [[जोधपुर]], [[बंबई]], [[मद्रास]] और [[ढाका]] तक पूरे [[हिन्दुस्तान]] में धूम मचा रक्खी थी। भक्त प्रहलाद नाटक में पिता के आदेश का उल्लंघन करने के बहाने उन्होंने [[ब्रिटिश साम्राज्य]] के विरुद्ध [[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] का सफल सन्देश दिया तथा [[हिरण्यकश्यप]] के दमन व अत्याचार की तुलना ब्रिटिश शासकों से की।<ref name="हिन्दुस्तान लाइव"></ref> उनकी प्रमुख नाट्य कृतियाँ निम्न हैं:<ref name="दैनिक ट्रिब्यून"></ref>
* वीर अभिमन्यु -1915,
* श्रवणकुमार -1916,