"राधेश्याम कथावाचक": अवतरणों में अंतर
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==संक्षिप्त परिचय==
राधेश्याम का जन्म 25 नवम्बर
[[कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स]] में हिन्दी की प्रोफेसर पामेला के अनुसार राधेश्याम कथावाचक ने [[हिन्दी भाषा]] को एक विशिष्ट शैली की रामायण लिखकर काफी समृद्ध किया। वे इतने सधे हुए [[नाटककार]] थे कि उनके नाटकों पर प्रतिबन्ध लगाने का कोई आधार [[ब्रिटिश राज]] में अंग्रेजों को भी नहीं मिला।<ref name="हिन्दुस्तान लाइव">[http://www.livehindustan.com/news/location/rajwarkhabre/article1-story-0-0-190117.html हिन्दी दिवस 14 सितम्बर को: राधेश्याम कथावाचक] 13 दिसम्बर 2011, [[हिन्दुस्तान लाइव]], अभिगमन तिथि: 27 दिसम्बर 2013</ref>
==कृतियाँ==
राधेश्याम कथावाचक ने [[राधेश्याम रामायण|रामायण]] के अतिरिक्त अनेक [[नाटक]] भी लिखे। एक समय ऐसा भी था जब उनके नाटकों ने [[पेशावर]], [[लाहौर]] और [[अमृतसर]] से लेकर [[दिल्ली]], [[जोधपुर]], [[बंबई]], [[मद्रास]] और [[ढाका]] तक पूरे [[हिन्दुस्तान]] में धूम मचा रक्खी थी। भक्त प्रहलाद नाटक में पिता के आदेश का उल्लंघन करने के बहाने उन्होंने [[ब्रिटिश साम्राज्य]] के विरुद्ध [[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] का सफल सन्देश दिया तथा [[हिरण्यकश्यप]] के दमन व अत्याचार की तुलना ब्रिटिश शासकों से की।<ref name="हिन्दुस्तान लाइव"></ref> उनकी प्रमुख नाट्य कृतियाँ निम्न हैं:<ref name="दैनिक ट्रिब्यून"></ref>
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