"मुकुटधर पाण्डेय": अवतरणों में अंतर

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'''मुकुटधर पाण्डेय''' का जन्म [[छत्तीसगढ़]] राज्य के [[बिलासपुर (छत्तीसगढ़)|बिलासपुर जिले]] के एक छोटे से गाँव बालपुर में 30 सितम्बर सन् १८९५ ई० को हुआ। इन्हें [[छायावाद]] का जनक कहा जाता है। मुकुटधर पाण्डेय अपने आठ भाईयों में सबसे छोटे थे । इनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई । इनके पिता पं.चिंतामणी पाण्डेय संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे और भाइयों में [[पं० लोचन प्रसाद पाण्डेय]] जैसे हिन्दी के ख्यात साहित्यकार थे । बाल्‍यकाल में ही पिता की मृत्यु हो जाने पर बालक [[मुकुटधर पाण्डेय]] के मन में गहरा प्रभाव पडा किन्तु वे अपनी सृजनशीलता से विमुख नहीं हुए । सन् १९०९ में १४ वर्ष की उम्र में उनकी पहली कविता आगरा से प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'स्वदेश बांधव' में प्रकाशित हुई एवं सन् १९१९ में उनका पहला कविता संग्रह ‘पूजा के फूल’ प्रकाशित हुआ । देश के सभी प्रमुख पत्रिकाओं में लगातार लिखते हुए मुकुटधर पाण्डेय ने हिन्दी पद्य के साथ-साथ हिन्दी गद्य के विकास में भी अपना अहम योग दिया । पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित अनेक लेखों व कविताओं के साथ ही उनकी पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित कृतियाँ इस प्रकार हैं – ‘पूजाफूल (१९१६), शैलबाला (१९१६), लच्छमा (अनूदित उपन्यास, १९१७), परिश्रम (निबंध, १९१७), हृदयदान (१९१८), मामा (१९१८), छायावाद और अन्य निबंध (१९८३), स्मृतिपुंज (१९८३), विश्वबोध (१९८४), [[छायावाद]] और श्रेष्ठ निबंध (१९८४), [[मेघदूत]] (छत्तीसगढ़ी अनुवाद, १९८४) आदि प्रमुख है। हिन्‍दी के विकास में योगदान के लिये इन्हें विभिन्न अलंकरण एवं सम्मान प्रदान किये गये। [[भारत सरकार]] द्वारा इन्हें सन् १९७६ में [[पद्म श्री|`पद्म श्री’]] से नवाजा गया। [[पंडित रविशंकर शुक्ल विश्‍वविद्यालय|पं० रविशंकर विश्‍वविद्यालय]] द्वारा भी इन्हें मानद् [[डी०लिट]] की उपाधि प्रदान की गई।
बाहरी कड़ी :