"मकर संक्रान्ति": अवतरणों में अंतर

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'''मकर संक्रान्ति''' [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रान्ति पूरे [[भारत]] और [[नेपाल]] में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। [[पौष]] मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस [[पर्व]] को मनाया जाता है। यह त्योहार [[जनवरी]] माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है क्योंकि इसी दिन सूर्य [[धनु राशि]] को छोड़ [[मकर राशि]] में प्रवेश करता है। मकर संक्रान्ति के दिन से ही सूर्य की [[उत्तरायण]] गति भी प्रारम्भ होती है। इसलिये इस पर्व को कहीं-कहीं '''उत्तरायणी''' भी कहते हैं। [[तमिलनाडु]] में इसे [[पोंगल]] नामक [[उत्सव]] के रूप में मनाते हैं जबकि [[कर्नाटक]], [[केरल]] तथा [[आंध्र प्रदेश]] में इसे केवल [[संक्रांति]] ही कहते हैं। मकर संक्रांति ऐसा दिन है, जबकि धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है।
 
जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर खराब माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करते लगता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं।
 
भगवान [[श्रीकृष्ण]] ने भी उत्तरायण का महत्व बताते हुए [[गीता ]] में कहा है कि उत्तरायण के छह मास के शुभ काल में, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है तो इस प्रकाश में शरीर का परित्याग करने से व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता, ऐसे लोग ब्रह्म को प्राप्त हैं।
इसके विपरीत सूर्य के दक्षिणायण होने पर पृथ्वी अंधकारमय होती है और इस अंधकार में शरीर त्याग करने पर पुनः जन्म लेना पड़ता है।
 
== नेपाल और भारत में मकर संक्रान्ति के विविध रूप ==