"थार मरुस्थल": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Thar Desert.JPG|right|thumb|300px|थार मरुस्थल का दृष्य]]
'''थर मरुस्थल''' भारत के उत्तरपश्चिम में तथा [[पाकिस्तान]] के दक्षिणपूर्व में स्थितहै। यह अधिकांश तो [[राजस्थान]] में स्थित है परन्तु कुछ भाग [[हरियाणा]], [[पंजाब]],[[गुजरात]] और पाकिस्तान के [[सिंध]] और [[पंजाब (पाकिस्तान)|पंजाब]] प्रांतों में भी फैला है।
== जलवायु ==
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== मरू समारोह ==
[[चित्र:Map of Vedic India.png|right|thumb|300px|लौहयुगीन वैदिक भारत में थार मरुस्थल की स्थिति (नारंगी रंग में)]]
राजस्थान में मरू समारोह (फरवरी में ) - फरवरी में पूर्णमासी के दिन पड़ने वाला एक मनोहर समारोह है। तीन दिन तक चलने वाले इस समारोह में प्रदेश की समृद्ध संस्कृति का प्रदर्शन किया जाता है।
 
प्रसिद्ध गैर व अग्नि नर्तक इस समारोह का मुख्य आकर्षण होते है। पगड़ी बांधने व मरू श्री की प्रतियोगिताएं समारोह के उत्साह को दुगना कर देती है। सम बालु के टीलों की यात्रा पर समापन होता है, वहां ऊंट की सवारी का आनंद उठा सकते हैं और पूर्णमासी की चांदनी रात में टीलों की सुरम्य पृष्ठभूमि में लोक कलाकारों का उत्कृष्ट कार्यक्रम होता है।
 
== बाहरी लिंक ==
* [http://www.mit.gov.in/tdil/E_TOURISM_CDAC/desert%20visions/html/hjaisal.htm आपणो राजस्थान]
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[[श्रेणी:भारतीय उपमहाद्वीप के रेगिस्तान]]
[[श्रेणी:रेगिस्तान]]
पर्यावरण प्रेमी राणाराम बिश्नोई जिन्होने पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रागाँधी के राजनीति मे आने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था I जिसके लिए सोना भी पत्थर है आपको यह बात सुनने मे अजीब और आश्चर्य लग रही हो लेकिन यह सत्य है धन दोलत शान-शोहरत को छोड़कर बस एक ही जुनून है पेड़-पोधो व वन्य जिवो की सेवा जो भगवान मे भी विश्वास नही रखते है जिन्होने कभी जिंदगी मे किसी मंदिर मे प्रसाद तक नही चड़ाई जो जिन्होने कभी देवी देवताओ के सामने हाथ नही जोड़े Iजो कभी किस्मत को नही मानते Iबस गुरु जंभेस्वर (बिश्नोई संप्रदाय के सस्थापक)को ही अपना गुरु माना उन्ही की शिक्षाओ पर चले I रेगिस्तान मे रेत के टीले जहा पत्थर भी नही टिकते वहा पर लाखो पेड़ लगा चुके है I बस ज़रूरत है इनको इनके निस्वार्थ भाव से किए गये कार्य के लिए सम्मानित करवाने की इनके कार्य को राष्ट्रीय स्तर पर लाने की ताकि दूसरे लोग भी प्रेरणा ले सके I राष्ट्रीय मीडिया के वक्ततियो आपकी एक कोशिश् राणाराम को पूरी जिंदगी की मेहनत का फल दिला सकती है और भारत रत्न भी दिला सकती है I