"टमकोर": अवतरणों में अंतर
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लगभग ४५० वर्ष पूर्व गाँव के पूर्वी छोर पर कस्बों का गाँव बसा हुआ था ,कस्बों का टमकोर के नाम से जाना जाता था |महला (जाट) परिवार जो कस्बों के रिश्ते में भांजे थे कुछ समय उपरान्त धीरे-धीरे इस गाँव में आकर बसने लगे | यहाँ पिने के लिए (जहाँ वर्तमान में जोह्ड़ा है के पास ) एक कुवा हुआ करता था ,(जिसके अवशेष अभी भी देखे जा सकते है ) पिने के पानी को लेकर एक बार दोनों (कस्बों और महलो )परिवारों के बीच तकरार हुआ ,और झगडे का रूप लेने से दोनों परिवारों में मन मुटाव हो जाने से आपस में दुश्मनी हो गई | कालांतर में किसी विशेष आयोजन पर क़स्बा परिवार को महला परिवार ने सामूहिक भोज पर बुलाया उस समय एक घटना में (घटना ही माना जाता है ,सचाई क्या थी ? प्रमाण नहीं मिलते ) जहाँ कस्वां परिवार एक बाड़े में खाना खा रहा था उसमे भयंकर आग लग गई और देखते ही देखते कस्वां परिवार के ज्यादातर सदस्य जलकर समाप्त हो गए ,बचे कुछ लोग थोड़े दिनों बाद कहीं और जा कर बस गए | आगे के इतिहास में टमकोर को दो भागों में विभक्त बताते है |उत्तरी भाग दुंद लोध ठिकाने से सम्बन्ध रखता था एवं दक्षिणी भाग बिसाऊ ठिकाने से |उत्तरी भाग में मुल्क्पुरिया (शेखावत-राजपूत)परिवार का वर्चस्व था |दक्षिणी भाग में सबसे पहले गिडिया (ओसवाल )परिवार आकर बसा था ,एवं कालांतर में अन्य परिवार पडिहार राजपूत, ब्राह्मण ,गुज़र,गौड़,एवं नाइ परिव्वर भी दक्षिणी भाग में आकर बस गए |
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