"प्रतिवादि भयंकर श्रीनिवास": अवतरणों में अंतर
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'''जीवन-चरित'''
प्रथिवादी भयंकरम फणिंद्रस्वामी और शेषागिरियम्मा, प्रथिवादी भयंकरा श्रीनिवास के पिता और माता है। श्रीनिवस ने विश्वविद्यालय से बी. कॉम मे उपाधि की है। उनके पूर्वजों पसर्लापुडी गाँव से है। दे प्रथिवादी भयंकरम अन्नानगराचरम के वंशज थे जो १५-सदी के एक वैश्नवित सादू थे जिन्होंने वेंकतेश्वरा सुप्रभातम लिखे थे। श्रीनिवस के पिता फणिंद्रास्वामी सहयोग विभाग मे एक अधिकारी थे और उनकी माँ एक साक्षातकार मे बताया था कि वे उनके द्वारा ही भारतिय शास्त्रिय संगीत के बारे मे जान पाए। पडाई के दिनों मे उन्हें आकाशवाणी सुनने की आदत थी। मुहम्मद रफी जी उनके प्रिय व्यक्ति थे। संगीत के क्षेत्र मे उन्का पहला कदम १२ वर्ष मे था । उनके मामा, किदमबी कृष्णस्वामी नाटक कलाकार और गायक थे। कृष्णस्वामी को अपने भानजे की संगीत के क्षेत्र मे रही अभिरुची का पता था और इसी कारण उन्हें नाटक मे गाने का अवकाश भी दिया। पर उनके पिता कि आशा थी कि वे एक सरकारी अधिकारी बने। जब उनके पिताजी ने इस विषय के बारे मे एक ज्योतिषी से पूछा तो उन्होंने बताया की श्रीनिवास को संगीत के क्षेत्र मे कुछ भविष्य नहीं है। पर ज्योतिषी के बात पर यकीन न करते हुए अपने बेटे के विशवास पर यकीन किया। बी. कॉम मे सफल होने के बाद, श्रीनिवास "हिन्दी विशरद परीक्षा" मे दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा से उतीर्ण हुए।
भाद मे श्रीनीवास जेमिनी स्टूडियोज़ चेन्नय गए। इमानी संकश शास्त्री, एक प्रसिध्द वीणा को बजाने वाले व्यक्ती थे जो एक निवासी संगीतकार थे। शास्त्री जी भी श्रीनिवास के परीवार के सदस्य थे। उन्होंने श्रीनिवास को एस व्स्न से परिचय कराया जो जेमिनी सटुडियोज़ के मालिक थे। उदर श्रीनीवास ने मुहाम्मद रफी जी का एक अदभूत गाना गाँ के दिखाया। वह गाना "हुए हम जिनके लिए बरबाद" जो नौशाद अली ने "दीदार" सिनेमा के लिए प्रक्रुतिस्य किया था। श्रीनीवास ने अपना प्रथम प्रधर्शन १९५२ मे जेमिनी के हिन्दी सिनेमा "मिस्ट्र्र्र्र संपत" के लिए किया। श्रीनिवास ने मीताद्त, शाम्ष्द बेगम और जिक्की के साथ ड्युयेट्स और ट्रिप्लेट्स गाया करते थे।
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