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मल्यालम , भारत के केरल राज्य मे मुक्य रूप से बोलि जाने वालि एक भाशा है। यह भारत का २२ अनुसूचित भाशाओं मे से एक हे , और २०१३ मै भारत सरकार द्वारा एक शास्त्रिय भाशा घोशित किय गया था। मल्यालम केरल के रज्य मै और लकशदीप और पोन्दिछेरि के राज्य क्शेत्रोम मै अधिकरिक भाशा का दर्जा प्रप्थ किया है। यह भाशा द्रिविद परिवार मे से आति है। २००१ कि जनगनन के अनुसर हमै यह पथा छल्ता है कि लाग्बग ३३ लाक लोगो से बोलि जाति हे। मल्यालम , केरकल के अलवा यह भाशा तमिल्नादु के निल्गिरि , कन्यकुमरि , जिल्ला कर्नतक के दक्शिन कन्नद , कोध्गु जिल्ला और लक्शदीप थथा अन्य कई देशो मे बसे मल्यलियै द्वार बोलि जाति है।
मलयालम कि सम्भावना सबसे अधिक ६ वि शताब्प्थि मै , माध्यम तमिल से जन्म लिय है। मलयालम , भाश और लिपि के विचार से तमिल भाशा के काफि निकथ है। इस पर सन्स्रक्रिथि क प्रभाव ईसा के पूर्व पेहलि सदि से हुआ हे। सन्स्क्रिथ शब्धो को मल्यामलम शैलि के अनुकुल बनाने के लिये सन्स्क्रुथ से अवथरिथ शब्धो को साम्शोदिथ किया हे। अरबो के सात सदियोन से व्यापार सम्बन्ध अज्रेजि थथा पूर्थ्गालि उपनिवेशावाध क असर भि भाशा पर पदा हे। मलयालम के अस्थित्व आने से पेहले , पुरने तमिल साहिथ्य को एक क्शेत्र कि अदालथोम मे इस्तैमाल किय गय है , जिस्को तमलिकम कह जाता हे। एक प्रसिध उधाहरन सिलपतिकरम है। सिलपतिकरम कोछिन से छेरा राज्कुमर इल्लगो अधिगल द्वारा लिका गया है , और इस्को सनगम साहिथ्य मै एक क्लासिक माना जाता है। आधुनिक मलयालम अभि भि सानगाम साहिथ्य के प्राछीन तमिल शब्ध वालि से कई शब्धो को बरकरार रखा है।
मल्यालम स्वतन्त्र रूप से सन्स्र्कुथ व्यकरन के नियमो के रूप मै अछि तरह से शब्ध उधार ले करने के लिये शुरु से वुव्प्थ्पन किय था , और बाध मै अर्थ एऴुथ के रूप मै माना जाता है। यह आधुनिक मलयालम लिपि मैन विकासिथ किय हैन।