"हिन्दू पौराणिक कथाएँ": अवतरणों में अंतर

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===<big>यक्ष-गंधर्व</big>===
हिंदू धार्मिक कथाओं में अनेकानेक देवी-देवता माने गए हैं। नाग-बहुमूल्य को की रक्षा करते हैं, यक्ष-कुबेर के गण हैं, गंधर्व-इंदz के संगीतकार हैं, किन्नर गंधर्वों के साथ रहते हैं, गंधर्वों की स्त्री प्रतिरूप हैं अप्सराएँ, जो सुंदर और कामुक होती हैं।
ऋषियों ने वैदिक शलोकों की संरचना करी। इनमें मुख्य हैं सप्त ऋषि- मारीचि, अत्री, अंगीरस, पुलस्त्य,कृतु, वशिष्ठ। ये तारामंडल के रूप में आकाश में दिखाई देते हैं।<br />
दक्ष व कशयप देवों एवं मानवों के पूर्वज हैं, नारद वीणा के आविशकारक, बृहस्पति व शुक सुर तथा असुरों के गुरु, अगस्त्य ने दक्षिण प्रायद्वीप में धर्म एवं संस्कृति का प्रचार किया।<br />
पितृ पूर्वजों की आत्माएँ जिन्हें पिंड दान दिया जाता है।<br />
 
असुर मुख्य दुरात्माएँ जो सदा देवजाओं से युद्धरत रहते थे। ये दिति की संतानें दैत्य कहलाते हैं, दनु की संतानें दानव कहलाते हैं। असुरों के प्रमुख राजा वृत्र, हिरणाकशिप, बाली आदि, पुलस्त्य ऋषि के पुत्र रावण राक्षस हैं।
 
====<big>युद्ध</big>====
देव और असुरों के बीच त्रिलोक के लिए कुल 12 भीण युद्ध हुए। हिरणाक्ष्य-वराह युद्ध जिसमें हिरणाक्ष्य दिव्य सागर में मारा गया। नरसिंह-हिरण्याक’शिप युद्ध-नरसिंह ने दैत्य का वध किया।वजगपुत्रकिया।<br />
वजगपुत्र तारकासुर स्कंद द्वारा मारा गया। अंधक वध इसमें अंधकासुर ’शिव के द्वारा मारा गया।<br />
पंचम युद्ध में देवता जब तारकासुर के तीन पुत्रों को मारने में विफल हुए, तब ’शिव ने अपने धनु पिनाक के एक बाण से तीनों को उनके नगरों समेत ध्वस्त कर दिया।
अमृतमंथन-इंद ने महाबली को परास्त किया वामन अवतार धर विष्णु ने तीन पग में त्रिलोक लेकर महाबली को बंदी बनाया।
आठवें युद्ध में इंदz ने मारा विप्रचित्ती तथा उसके अनुचर जो अदृशय हो गए थे।
आदिवक युद्ध में इक्ष्वाकु राजा के पौत्र काकुशथ ने इंद्र की सहायता की और आदिवक को परास्त किया। कोलाहल युद्ध में शुक पुत्र संद एवं मर्क का वध हुआ। दानवों की सहायता लेकर वृत्र ने इंदz से युद्ध किया। विष्णु की मदद पाकर इंदzइंद्रा ने उसे मार डाला।<br />
बारहवें युद्ध में नहुश के भाता राजी ने इंद्र की सहायता की और असुरों को मार डाला।