"हिन्दू पौराणिक कथाएँ": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
टैग: signature in article |
|||
पंक्ति 2:
वेद देवगाथाओं के मूल, जो प्राचीन हिंदू धर्म से विकसित हुए, वैदिक सभ्यता एवं वैदिक धर्म के समय से जन्में हैं। चतुर्वेदों में उनेक विषयवस्तु के लक्षण मिलतें हैं।प्राचीन वैदिक कथाओं के पात्र,उनके वि’वास तथा मूलकथा का हिंदू दर्शन् से अटूट संबंध है।वेद चार हैं यथा रिगवेद्, यजुर्वेद, अथर्ववेद व सामवेद। कुछ अवतरण ऐसी तात्विक अवधारणा तथा यंत्रों का उल्लेख करते हैं जो आधुनिक काल के वैज्ञानिक सिद्धांतों से बहुत मिलते-जुलते हैं।
==<big>इतिहास तथा पुराण</big>==
संस्कृत की अधिकांश् सामग्री महाकाव्यों के रूप में सुरक्षित है। कथाओं के अतिरिक्त इन महाकाव्यों में तत्कालीन समाज, दर्शन्, संस्कृति, धर्म तथा जीवनचर्या पर विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। रामायण व महाभारत, ये दो महाकाव्य विषेश्त:विष्णु के दो अवतारों राम एवं कृष्ण की कथा सुनाते हैं। ये इतिहास कहलाए गए हैं। ये दोनो धर्मिक ग्रन्थ् तो हैं ही, दर्शन् एवं नैतिकता की अमूल्य निधि भी हैं। <br />
इन महाकाव्यों को विभिन्न कांडों में विभक्त किया गया है जिनमें अनेक लगुकथाएँ हैं जहाँ प्रस्तुत परिस्थियों को पात्र हिंदू धर्म तथा नैतिकता के अनुसार निभाता है।इनमें से महाकाव्य का सबसे महत्त्वपूर्ण अध्याय है भगवद गीता जिसमें श्री कृष्ण कुरुक्षेत्र के युद्ध से पहले अर्जुन को धर्म, कर्म और नीतिपरायणता का ज्ञान देते ये महाकाव्य भी अलग-अलग युगों में रचे गए हैं। पुराणों में वे कथाएँ समाहित हैं जो महाकाव्यों में नहीं पायी गयी हैं अथवा उनका क्षणिक उल्लेख है। इनमें संसार की उत्पत्ति, अनेकानेक देवी-देवताओं नायक-नयिकाओं प्राचीनकालीन जीवों ; असुर, दानव, दैत्य, यक्ष, राक्षस, गंधर्व, अप्सराओं, किंपुरुषों आदि द्ध के जीवन तथा साहसिक अभियानों की दंतकथाएँ और कहानियाँ हैं।<br /> भागवद्पुराण संभवत: सर्वाधिक पठित एवं विख्यात पुराण है। इसमें भगवान विष्णु के अवतारों के वृत्तांतों को लिपिबद्ध किया गया है। पुरुष सूक्त में कहा गया है कि देवताओं ने एक दिव्य पुरुष की बलि दी, उसके भिन्न अंगों से सभी जीवों की रचना हुई। पुराणों में विष्णु के वराह अवतार पराभौतिक सागर से पृथ्वी को उभार लाए थे। शतपथ् ब्रह्माण्ड में माना गया है कि आदि में जब प्रजापति-प्रथम सृजनकर्ता अकेले थे तब उन्होंने अपने को पति-पत्नी के दो स्वरूपों में विभक्त कर लिया।<br /> पत्नी ने अपने सृजनकर्ता के साथ इस संबंध को व्यभिचार माना और उनके प्रेमपाश् से बचने के लिये विभिन्न जीव-जन्तुओं का रूप धारण किए पति ने भी उन्हीं रूपों को धारण्करके पत्नी का अनुकरण किया और इन्हीं संयोगो से विभिन्न प्रजातियों का जन्म ब्रह्माण्ड का सर्जनब्रमाण्ड ने किया, विष्णु इसके संरक्षक हैं तथा महादेव शिव् अगले सृजन के लिए इसका विनाश् करतें हे। कुछ किंवदंतियों में ब्रमाण्ड के सृजनकर्ता विष्णु माने गए हैं जिनकी नाभि से उत्पन्न कमल पर ब्रमाण्ड आसीन हैं। ==<big>समय की प्रकृति</big> ==
|