"मोहिनीअट्टम": अवतरणों में अंतर

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मोहिनि अट्टम दक्शिनी केरला के ट्रावन्कोर के राजा स्वीथि तिरुनाल और वदिवेलु नम्क एक तंजावुर चौकड़ी द्वारा प्रचालित हुआ था। राजा तिरुनाल ने अप्ने राज के वक्थ मोहिनैइ अट्टम कि बहुत बढ़ावा दिया था और उन्होंने आधुनिक नर्तकों के लिए अनेक नए वाद्य उअपकरण और गानों की भी रचना की। २० सदी में, प्रसिद्ध कवि वल्लतोल, जिन्होंने १९३० में कलामन्डलम क स्थापना किया था, मोहिनि अट्टम को लोकप्रिय बनाने के लिए बहुत कोशिश की।
मोहिनी अट्टम शब्द , "मोहिनी" से उत्पन्न हुआ है जिस्का मतलब है सबको मंत्रमुग्ध करने वाली स्त्री। मोहिनी अट्टम का अर्थ है "जादूगरनी का नृत्य"। दो कहानिया है जिसमे भगवान विश्नु ने मोहिनी का रूप धारन किया था। एक बार उन्होंने असुरों को पलायी से मिले अम्रित से दूर करने के लिए धारण किया था और दूसरी बार भग्वान शिव को भस्मासुर थे बचाने के लिए। इस नृत्य शैली को मोह्नी अट्टम शयद इसि लिए कहा होगा क्योंकि इस नृत्य शैली क मुख्य पात्र हमेशा भगवान विश्नु या भग्वान श्री कृश्न होता है। यह देवदासियों का नृत्य शैली है। इसमें कूडियाटम और कूत के तत्व हैं। मोहिनी अट्टम कविता और नृत्य मिश्रित नाटक है। इस नृत्य शैली मैं कोमल आंदोलनों और मुद्राओं क मिश्रण है। इस्मे कम से कम ४० कगम हैं जि न्कि अडवुकल कहते है।
श्रि स्वति तिरुनाल राम वर्मा , श्रि वल्लतोल नारयन मेनोन और श्रीमति कलामन्डलम कल्यनिकुट्टि अम्मा को मोहिनी अट्टम के थीन खम्बें माने जाते हैं, जिन्होंने मओहिनी अट्टम को अधुनिक रूय में बदल दिय। गुरु कल्यनि कुट्टि अम्मा ने इस नृत्य शैली के बारे मैं बुना हुआ कल्पित कहनियों को दोषपूर्ण कर दिखय और इस शैली को सत्य और सामूहिक और ऐतिहसिक विकस के बल पर एक मोहिनी अट्टम एक मंत्रमुग्ध करने वाली स्त्री के नाच के अलावा, एक सुन्दर स्त्री के नाच के रूप मैं प्रस्थाव किया। इस्क पोशाक स्फेद सडी है जिस्के सीमे पर सोनेह्रे ब्रोकेड से कशीदाकारी किय है । इस्के आभूशण प्ररूपि तेम्पल ही है और उस्के साह खास मोहिनी अट्टम के लिये बनाय गया लक्श्मि बेल्ट। नर्तक सोन्दर चमेली के फूल भी पहन्ते हैं। मोहिनी अट्टम के गायन मैं तालबद्ध संरचना है जिस्को छोल्लु कहते हैं। इस्के गीत मनिप्रवलम मैं है जो सांस्कृत ओर मलयालम क मिश्रण है।
 
अन्य नृत्य शैलियों की तरह मोहिनी अट्टम को भी गि हिस्सों में बाँटा जा सकता है - नृता और नृत्या। जब इस शैली को सीखना शुरू कर्ते हो तो नृता शए शुरु करते है। मोहिनि अट्टम नृत्य शिल्प जैसे कि चोल्लुकेट्टु, जतिस्वरम आदि , नृत्य को ज़्यादा महत्व देते है। चोल्लुकेट्टु में शैली लयबद्ध शब्दांशों है जो रागा के हिसाब से चलता है। जतिस्वरा जति ओर स्वर के मेल है जो रग और तल के हिसब से चलता है। परन्तु वर्न पदम या शब्गदम में नृता को अभिनया के साथ अभिनया जके बीच और कभि कबार अभिनया के मनोदशा को दिखने के लिए उपयोग कर्ते है।
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== वाह्य सूत्र ==