"मलयालम भाषा": अवतरणों में अंतर

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मल्यालम स्वतन्त्र रूप से सन्स्र्कुथ व्यकरन के नियमो के रूप मै अछि तरह से शब्ध उधार ले करने के लिये शुरु से वुव्प्थ्पन किय था , और बाध मै अर्थ एऴुथ के रूप मै माना जाता है। यह आधुनिक मलयालम लिपि मैन विकासिथ किय हैन।
==आचार्यविग्ञन==:
मल्यालम शायध मल्यालम / तमिल शब्ध से शुरु हुआ है। "माला" क अर्थ है पहाडि और एलम क अर्थ शेत्र। इस प्रकार मल्यालम "पहाडि शेत्र" के रूप् मे उल्लेक किया जाता है , और बाध मे य्स नाम भाशा बन गया। इस भाशा क मध्य १९ वि सधि मै नाम मल्यालम मिल।
==विकास==:
द्र हेर्मन्न गुन्देर्त (१८१४-१८९३) एक गेर्मन मिस्सिओनेर्य और विग्ञन मल्यालम साहित्य के विकास मै एक प्रथ्यक भूमिक निबायि है। अनेक प्रमुख ग्रन्थोन "केरलोल्पथि" (१८४३) , "पऴन्छोलमला" (१८४५) , "मल्याल भाशा व्याकरनम" (१८५१) , "पाथमाल"(१८६०) , पेहलि मल्यालम स्छूल पात्य पुस्थक लिक गया था। पविथ्र बिब्ले को भि माल्यालम मै अनुवाध किया। एक साथ तमिल , तोदा कन्न्द और तुलु साथ मल्यालम द्रिविद भाशावोन के धक्शिनि समूह के अन्थ्गर्थ आता है। १८२१ मै कोत्तयम मै चर्च मिस्सिन सोचिएति के मल्यालम मै मुध्रन किथाबे शुरु कर दिया , बेञमिन बैलि एक अग्रेज़ि पातरि पेहलि मल्यालम प्रकार बनाया था।कुछ प्रोटो तमिल , प्राचीन तमिल और मलयालम की सामान्य शेयर , आद्य तमिल से अलग एक भाषा के रूप मंए मलयालम के उद्भव , जिसके परिणामस्वरूप पर ९ वीं शताब्दी से चार या पाँच सदियों की अवधि में भिन्नताएं विश्वास करते है। तमिल ब्राह्मी लिपि और वत्तेलुत्तु में लिखा गया था , जो छात्रवृत्ति और प्रशासन की भाषा , आद्य तमिल , बाद में , बहुत मलयालम के प्रारंभिक विकास को प्रभावित किया है. केरल में पहले छपी किताब लिंगुआ मालाबार तमुलु में हेनरिक हेनरिक्स ने लिखा द्थाओच्त्रिअम छ्रिस्तिअम। यह लिप्यांतरणऔर अनुवाद मलयालम में , और १५७८ में पुर्तगालियों द्वारा मुद्रित किया गया था । बेंजामिन बेली , एक अंगरेज़ी पादरी , पहली मलयालम प्रकार बनाया जब १८२१ में कोट्टायम में चर्च मिशन सोसायटी (सीएमएस) के मलयालम में मुद्रण किताबें शुरू कर दिया . इसके अलावा, वह गद्य के मानकीकरण के लिए योगदान दिया। स्टटगार्ट , जर्मनी , से हरमन गुन्द्रेत तलसेर्रि में १८४७ में पहली मलयालम समाचार पत्र, राज्य स्मछरम् शुरू कर दिया । यह बेसल मिशन पर छपा था।
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==इथिहास:==
मल्यालम भाशा केरल और आस्पास के जिल्लावोम के राज्य मे बोलि जाति है। मलयालम शब्ध के "माला" को पहाड केह्ते है और मल्यालम को , लोग या फिर पहाडि प्रदेश कि भाशा केह्ति है। पूरान से हमे पता चल्ता है कि मल्यालम साहिथ्य कि शुरुवाध "राम चरितम" से हुआ है। मल्यालम और तेलुगु साहिथ्य के चरिथ्र पर नज़र डल्ने से हमे पता चल्ता है कि दोनो मे समन्ता है , जैसे मलयालम "रम चरित" से और तेलगु ननैआ के महभारथम से हि कहा जा सक्ता हैन।
पेहले मल्यालम भाश सिर्फ शिध तमिल कि एक स्तानीय बिलि से अधिक नहि था। राग्नीतिक अल्गाव और स्थनिय सग्र्श , ईसाई दर्म और इस्लम के प्रभव , और एक छोत सा एक हज़ार से अधिक साल पेहले नम्बूदरि भ्रामन के आग्मन से ये सारि व्यवस्ता स्थानिय बोलि मल्यालम भाशा के विकास के लिये अनुकूल बनाया था। नमबूधरि लोगो के आगमन से प्रसिध भक्थि गानो क उथ्पन हुआ है।
"थुन्छतु रामानुजन एऴुथछन"१६ वि सदि को मल्यालम भाश के आधुनिक पिता माना जाता है। रामानुजन जि कै आग्मन से हि मल्यालम भाशा मै एक परिवर्थन आया है। तब तक मल्यालम भाशा दो विबागो से झुडा था , वो हे सन्स्रक्रुथ और तमिल। मल्यालम भाशा , बक्थि साहिथ्य के एक नये प्रकार कि शुरुवाध के साथ , फोर्म और सामग्रि मे दोनो , एक कायापलट लिय , और यह आम थोर पर मल्यालम भाशा और साहिथ्य मै आधुनिक्था शुरु किय जाता है। मल्यालम साहित्य के पेहले काव्य जो आज उपलब्ध है , वो "छनक्य के अर्थशास्त्र"पर एक गध्य है। मल्यालम भाशा के और भि प्रसिध कव्यगत् भि १४ वि सधि का है। ये दोनो काव्यगत एक खास गध्य मै झोदा है , वो है मनिप्रवलम , यह भाशावो के सागम है , एक केरल क भाशा और दूसरा सन्स्रक्रित। इस सन्कर शैलि मै एक व्याकरन और लप्फाजि , सन्स्क्रिथ और काम मै १४ वि सधि मै कुछ समय लिका है और उसे "लैलातिलकम" बुलया जाता है। साहिथिय्क और भाशायि इथिहास के एक छात्र के लिये जान्कारि क मुख्य स्त्रोथ है।