"श्यामजी कृष्ण वर्मा": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:ShyamjiKriShnaVerma.jpg|right|thumb|250px|श्यामजी कृष्ण वर्मा (सौजन्य से [[:en:User:Nizil Shah|Nizil Shah]])]]
'''श्यामजी कृष्ण वर्मा''' ([[जन्म]]: 4 अक्टूबर, 1857 - [[मृत्यु]]: 31 मार्च, 1933) क्रान्तिकारी गतिविधियों के माध्यम से भारत की आजादी के संकल्प को गतिशील करने वाले अध्यवसायी एवं कई क्रान्तिकारियों के प्रेरणास्रोत थे। वे पहले भारतीय थे, जिन्हें ऑक्सफोर्ड से
== जीवन वृत्त ==
श्यामजी कृष्ण वर्मा का जन्म 4 अक्टूबर, 1857 को [[गुजरात]] प्रान्त के [[मांडवी लोकसभा क्षेत्र|
1897 में वे पुनः
उस समय यह संस्था क्रान्तिकारी छात्रों के जमावड़े के
==अस्थियों का भारत में संरक्षण==
वर्माजी का दाह संस्कार करके उनकी अस्थियों को जिनेवा की सेण्ट जॉर्ज सीमेट्री में सुरक्षित रख दिया गया। बाद में उनकी पत्नी भानुमती कृष्ण वर्मा का जब निधन हो गया तो उनकी अस्थियाँ भी उसी सीमेट्री में रख दी गयीं।
22 अगस्त 2003 को भारत की स्वतन्त्रता के 55 वर्ष बाद गुजरात के मुख्यमन्त्री [[नरेन्द्र मोदी]] ने स्विस सरकार से अनुरोध करके [[जिनेवा]] से श्यामजी कृष्ण वर्मा और उनकी पत्नी भानुमती की अस्थियों को भारत मँगाया। [[बम्बई]] से लेकर [[माण्डवी]] तक पूरे राजकीय सम्मान के साथ भव्य जुलूस की शक्ल में उनके अस्थि-कलशों को [[गुजरात]] लाया गया। वर्मा के जन्म स्थान में दर्शनीय '''क्रान्ति-तीर्थ''' बनाकर उसके परिसर स्थित [[मन्दिर|श्यामजीकृष्ण वर्मा स्मृतिकक्ष]] में उनकी
उनके जन्म स्थान पर गुजरात सरकार द्वारा विकसित श्रीश्यामजी कृष्ण वर्मा मेमोरियल को गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 13 दिसम्बर 2010 को राष्ट्र को समर्पित किया गया। [[कच्छ]] जाने वाले सभी देशी विदेशी पर्यटकों के लिये माण्डवी का क्रान्ति-तीर्थ एक उल्लेखनीय पर्यटन स्थल बन चुका है।
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