"बहादुर शाह ज़फ़र": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Autograph of His Majesty Bahadur Shah of Delhi 29th April 1844 right side.png|thumb|फारसी में कविता, जो बहादुरशाह ने लिखा।.]]
बहादुर शाह जफर सिर्फ एक देशभक्त मुगल बादशाह ही नहीं बल्कि उर्दू के मशहूर कवि भी थे। उन्होंने बहुत सी मशहूर उर्दू कविताएं लिखीं, जिनमें से काफी अंग्रेजों के खिलाफ बगावत के समय मची उथल-पुथल के दौरान खो गई या नष्ट हो गई। उनके द्वारा उर्दू में लिखी गई पंक्तियां भी काफी मशहूर हैं-
 
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"गाजियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की
तब तलक चमकेगी तेगे हिंदुस्तान की"
</poem>
 
देश से बाहर [[यांगून|रंगून]] में भी उनकी उर्दू कविताओं का जलवा जारी रहा। वहां उन्हें हर वक्त हिंदुस्तान की फिक्र रही। उनकी अंतिम इच्छा थी कि वह अपने जीवन की अंतिम सांस हिंदुस्तान में ही लें और वहीं उन्हें दफनाया जाए लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।