"विश्वनाथन आनंद": अवतरणों में अंतर

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==कैरियर की शुरूआत==
 
आन्ंद शुरूआत से ही शतरंज के क्षेत्र में तेजोमय रहे हैं । राष्ट्रीय स्तर पर सफलता उन्हें १४ वर्श की उमर में ही प्राप्त हो गइ थी जब १९८३ में उन्होनें राष्ट्रीय उप कनिष्ठ शतरंज चैंपियनशिप में ९/९ स्कोर बनये थे। उन्हें १९८४ में भारत के सबसे छोटे अंतरराष्ट्रीय मास्टर का खीताब भी दिया गया जब वेह केवल १५ वर्श के थे। उसके पश्चात उन्हें काफी और सफलताये प्राप्त होती गयी ,१६ वर्श में राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप का खीताब मिला और फिर १८ वर्श की उमर में खेले गये कोयंबटूर शक्ति वित्त अंतरराष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप में उन्हें पहला ग्रांडमास्टर मिला। उसी उमर में पद्मश्री भी मिला। काफी जल्दी उन्हें अनेक दिगजो से खेलने का अव्सर प्राप्त हुआ । १९९१ में गैरी कस्परोव ,अनातोली कारपोव जैसे खिलाड़ियों को खिलाफ जीतकर भी उन्कि रफ्तार कम होती नजंर नहीं आइ। हालाकी १९९६ फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप में वह केवल क्वार्टर फाइनल तक ही पहुच पये और कम्स्की से हार गये। बाद में कम्स्की भी विजेता नहीं बन पये जब वेह कारपोव से हार गये।गये।lcfpekfl;dfjtpodkc;dkit[lkc;fl
 
==विश्व शतरंज चैंपियनशिप==