"महुआ": अवतरणों में अंतर
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गर्म क्षेत्रों में इसकी खेती इसके स्निग्ध (तैलीय) बीजों, फूलों और लकड़ी के लिये की जाती है। प्रति वृक्ष उसकी आयु के अनुसार सालाना 20 से 200 किलो के बीच, बीजों का उत्पादन कर सकते हैं। इसका तेल का प्रयोग (जो सामान्य तापमान पर जमा होता है) त्वचा की देखभाल, साबुन या डिटर्जेंट का निर्माण करने के लिए, और वनस्पति मक्खन के रूप में किया जाता है। ईंधन तेल के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है। तेल निकलने के बाद बचे इसके खल का प्रयोग जानवरों के खाने और उर्वरक के रूप में किया जाता है। इसके फूलों का उपयोग भारत के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों मे शराब के उत्पादन के लिए किया जाता है। कई भागों में पेड़ को उसके औषधीय गुणों के लिए उपयोग किया जाता है, इसकी छाल को औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जाता है। कई आदिवासी समुदाओं मे इसकी उपयोगिता की वजह से इसे पवित्र माना जाता है।
[[श्रेणी:वनस्पति विज्ञान]]
[[श्रेणी:वृक्ष]]
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