"विश्वनाथन आनंद": अवतरणों में अंतर

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विश्वनाथन आनंद इतिहास के उन ६ खिलाडियों में से एक हैं जिन्होने फीडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप दर्ज़ा सूची में २८०० के अंक को तोड़ा हैं और अप्रैल २००७ में जब वेह ३७ वर्ष के हुए तो पेहलि दफा वेह विश्व के नंबर १ खिलाड़ी बने। उन्होने ६ में से ५ दफा वेह विश्व दर्जे में सब्से उच्च स्थान पर थे (सन २००७ से २००८ तक) जिस्से वेह कुल १५ महिनो तक नंबर बन सके। पेहली दफा जुलाई १९९६ से लेकर अक्टूबर २००८ में वेह सब्से उपर के तीन स्थान से गीर गये। आनंद ने अपना विश्व क नंबर १ होने क दर्जा नवंबर २०१० में फिर से वापस हासील कर लिया पर उसे उन्हे वापस कार्सलेन को वापस सौपना पड़ा।
 
==शुरुवाती जीवन==
विश्वनाथन आनंद क जन्म ११ दिसम्बर १९६९ में तमिलनाडु के एक चित नग्री मयिलादुथूराई में हुआ था। कुछ समय बाद उन्का परिवार चेन्नई चला आया जहा आनंद बहुत दिनों तक रहे। उन्कए पीता विश्वनाथन अय्यर रैल विभाग के एक अवसरप्राप्त जनरल प्रबनधतक हैं तथा उन्के माताजी सूशीला एक गृहिणी,शतरंज खिलाड़ी और एक प्रभावयुक्त व्यक्ति हैं। विश्वनाथ्न के भाई क नाम शिवकुमर हैं जो कि भारत के क्रोम्पटन ग्रीव्ज़ के प्रबनधक हैं और उन्के बहन का नाम अनूराधा हैं जो की मिचिगन विद्यालय की अध्यापक हैं। आनंद अपने भाई से १३ साल और अपनी बहन से ११ साल छोटे हैं।
 
उन्हे शतरंज का खेल उन्के माताजी और परिवार के करीबि मित्र दीपा रामाक्रीशनन ने सिखाया था। वे अप्ने शतरंज के शुरुवात का कुछ इस तरह वर्णन कर्ते हैं:
"मैं ६ साल का था जब मैने शतरंज खेलना शुरु किया। मेरी माताजी ने मुझे शतरंज खेलना सिखाया था बल्कि मेरि माताजी बहुत कुछ किया करती थी मेरे शतरंज के लिये। फिर हम जल्द ही फिलीपिन्स चले गये। मैने भारत के एक क्लब में हिस्सा ले लिया था और हम फिलीपिन्स चले गये। और वहा एक दोपहर एक या दो बजे दूरदर्शन कार्यक्रम दिखाया गया जिस दोहरान मैं स्कुल में था। मातजी उन सब खेल और पहेली के नाम जो दूरदर्शन में दिखाया जाता वेह लिख लेती थी और हर शाम हम उन्हे मिलकर सुल्झाते थे। बेशक़ मेरी माताजी और उन्के परिवार वाले शतरंज खेला करते थे मेरी माताजी अपने छोटे भाई के साथ खेला करती थी इसिलिये उन्का शतरंज का पृष्ठभूमि था, परन्तु वेह किसी क्लब में नही गये।
 
तो हम उन सारे पहेलियों को सुल्झाकर अपने उत्तर उन दूरदर्शन वालो को भेज देते थे जो विजेतओं को एक किताब पुरस्कार में देते थे। और बहुत महिने बीत जाने के साथ मैने और बहुत सारे ईनाम जीते। एक समय पर तोह उन्होने हमे सारे किताबें ले जाने को कहा ताकि हम और उत्तर ना भेजे उन्हे।
 
विश्वनाथन आनंद ने डान बोस्को मत्रिकूलेशन स्कुल, चेन्नई से ञान हासील किया और लोयोला कॉलेज,चेन्नई से डिग्री हासिल की।
<ref>https://en.wikipedia.org/wiki/Viswanathan_Anand</ref>
==सन्दर्भ==
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२००० में उन्होंने फीडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती थी। २००७ की विश्व चैंपियनशिप में विजय के बाद वे शतरंज के निर्विवाद बादशाह बन गये। १४ से २९ अक्टूबर २००८ के मध्य संपन्न विश्व शतरंज चैंपियनशिप में उन्होंने [[व्लादिमीर क्रैमनिक]] को हराकर अपना खिताब बरकरार रखा है। इस विजय के साथ ही वे चैंपियनशिप के तीन भिन्न प्रारूपों यानि नॉकआउट, टूर्नामेंट तथा मैच में जीतने वाले विश्व शतरंज इतिहास के पहले खिलाड़ी बन गये हैं।वर्ष 2008 और 2010 में क्रमश: रूस के व्लादिमीर क्रैमनिक और बुल्गारिया के वेसलिन टोपालोव को हराकर खिताब जीता था। आनंद ने पांच बार 2000, 2007, 2008, 2010 और 2012 में खिताब जीता । <ref name="bbc">{{cite news
| url=http://khabar.ndtv.com/news/sports/vishwanathan-anand-win-world-chess-championship-350146
| title=आनंद ने पांचवीं बार विश्व शतरंज चैम्पियनशिप जीती
| publisher=एन डी टी वी खबर
| accessdate=30 मई 2013
| date=2013-11-23
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==व्यक्तिगत जीवन==
अगस्त २०१० में विश्वनाथन आनंद ओलिंपिक स्वर्न पदक के निर्देशकों के मन्डल में घुसे जो की एक प्रचारित एवं मदद्गारी स्थम्भ हैं जो आदर्नीय खिलाड़ियों के लिये बना हैं। विश्वनाथन आनंद २४ दिसंबर २०१० को गुजरात विश्वविद्यालय,अहमदाबाद में आदर्नीय अतिथि थे जहा २०४८६ खिलाड़ियों ने मिलकर एक हि स्थान पे शतरंज खेलकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था ।
उनके शौक हैं पढ़ना,तैरना,और गाने सुन्ना । उन्होंने अरुना आन्ंद से शादी की और उनका एक बेटा भी हैं जिसका ९ अप्रैल २०११ को हुआ था । आनंद के बेटे का नाम अखिल आन्ंद हैं जिसका तमिल में मतलब होता हैं अखिल आन्ंद(कोइ कुल्नाम नही)। विश्वनाथन आनंद अपनी पत्नी के साथ चेन्नई में रह्ते थे। आन्ंद को एक व्यक्ति माना जाता हैं क्योंकि उन्हें अप्ने खेल के अलावा किसी और राजनीतिक तथा मान्शीक क्षेत्र में कोइ दिलचस्पी नहीं हैं जिसके कारन वह इतने प्रसिद्ध व्यक्ति बने । पिछ्ले २० वर्श से वेह शतरंज के खेल में नायाब कीर्दार निभा रहे हैं ,यह साफ दिखाइ देता हैं क्योंकि गैरी कस्परोव ,व्लादमिर क्राम्निक,तथा मगनस कर्ल्सोन (इन्में से पेहले के दो नाम विश्व शतरंज प्रतियोगिता में आन्ंद के प्रतित्द्वन्दि रेह चुके हैं)यह तिनो ने आनंद को २०१० में कमर कस्ने में हाथ दिया था।
विश्वनाथन आन्ंद को कभी कभार "टाइगर ओफ मद्रास" यानि मद्रास का शेर भी कहा जाता हैं। विश्वनाथन आन्ंद एक लौते ऐसे खिलाड़ि हैं जिन्हे प्रधान मन्त्री मन्मोहन सिंह द्वारा अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ दावत के लिये आमंत्रण किया गया था २०१० के नवंबर में ।
 
विशवनाथन आन्ंद को हैदराबाद के विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट देने से इन्कार कर दिया गया था क्योंकि उन्हें आन्ंद के नागरिकता अवस्थान पर भ्रम हो रहि थी । हालाकिं भारत के मानव सन्सादन मंत्री कपिल सिब्ब्ल ने उन्से इस विषय पर माफि भी मांगी और कहा कि "इस विषय पर कोइ परेशानी नहीं होनि चाहिये क्योंकि आन्ंद ने स्वीकार लिया हैं कि उन्होनें उन्की डिग्री सहि समय पर उन्की उपस्थिती पर हि ले लिया था।" द हिन्दु के अनुसार, आन्ंद ने आखिर में उस डॉक्टरेट को अपना ने से मना कर दिया था।
 
==कैरियर की शुरूआत==
 
आन्ंद शुरूआत से ही शतरंज के क्षेत्र में तेजोमय रहे हैं । राष्ट्रीय स्तर पर सफलता उन्हें १४ वर्श की उमर में ही प्राप्त हो गइ थी जब १९८३ में उन्होनें राष्ट्रीय उप कनिष्ठ शतरंज चैंपियनशिप में ९/९ स्कोर बनये थे। उन्हें १९८४ में भारत के सबसे छोटे अंतरराष्ट्रीय मास्टर का खीताब भी दिया गया जब वेह केवल १५ वर्श के थे। उसके पश्चात उन्हें काफी और सफलताये प्राप्त होती गयी ,१६ वर्श में राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप का खीताब मिला और फिर १८ वर्श की उमर में खेले गये कोयंबटूर शक्ति वित्त अंतरराष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप में उन्हें पहला ग्रांडमास्टर मिला। उसी उमर में पद्मश्री भी मिला। काफी जल्दी उन्हें अनेक दिगजो से खेलने का अव्सर प्राप्त हुआ । १९९१ में गैरी कस्परोव ,अनातोली कारपोव जैसे खिलाड़ियों को खिलाफ जीतकर भी उन्कि रफ्तार कम होती नजंर नहीं आइ। हालाकी १९९६ फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप में वह केवल क्वार्टर फाइनल तक ही पहुच पये और कम्स्की से हार गये। बाद में कम्स्की भी विजेता नहीं बन पये जब वेह कारपोव से हार गये।
 
==विश्व शतरंज चैंपियनशिप==
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== सम्मान और पुरस्कार ==
''' विश्वनाथन आनंद ''' को [[भारत सरकार]] ने [[खेल]] क्षेत्र में [[अर्जुन अवॉर्ड]] (१९८५), [[पद्म श्री]] (१९८७), [[पद्म भूषण]] (२०००)<ref>{{cite web|title=Padma Vibhushan, Padma Bhushan, Padma Shri awardees |trans_title=पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्म श्री पुरस्कार विजेता |date=२७ जनवरी २००० |url=http://www.hindu.com/2000/01/27/stories/02270005.htm |publisher=द हिन्दू |accessdate=८ दिसम्बर २०१३|language=अंग्रेज़ी|}}</ref>, [[पद्म विभूषण]] (२००७), [[राजीव गांधी खेल रत्न]] (१९९१-१९९२) से सम्मानित किया था। ये [[तमिलनाडु]] से हैं।
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
{{२००१ पद्म भूषण}}
 
[[श्रेणी:२००० पद्म भूषण]]
[[श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन]]