"मानचित्र": अवतरणों में अंतर

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== परिचय ==
मानचित्र किसी चौरस सतह पर निश्चित मान या पैमाने और अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं के जाल के प्रक्षेप के अनुसार पृथ्वी या अन्य ग्रह, उपग्रह, अथवा उसके किसी भाग की सीमाएँ तथा तन्निहित विशिष्ट व्यावहारिक, या सांकेतिक, चिह्नों द्वारा चित्रण या परिलेखन मानचित्र कहलाता है। अत: प्राय: मानचित्र किसी बड़े क्षेत्र का छोटा प्रतिनिधि रूपचित्रण है, जिसमें अंकित प्रत्येक बिंदु मानचित्र क्षेत्र पर स्थित बिंदु का संगत बिंदु होता है। इस प्रकार मानचित्र तथा मानचित्रित क्षेत्र में स्थैतिक या स्थानिक सम्यकता स्थापित हो जाती है। मानचित्र पर भूआकृति या वस्तुस्थिति के प्रदर्शन के निमित्त प्रयुक्त प्रत्येक चित्र, चिह्न या आकृति एक विशिष्ट स्थिति का बोध कराते हैं और प्रचलन एवं उपयोग में रहने के कारण इन रूढ़ चिह्नों का एक सर्वमान्य अंतरराष्ट्रीय विधान सा बन गया है। इस प्रकार के चिह्नों के उपयोग से किसी भी भाषा के अंकित मानचित्र, बिना उस भाषा के ज्ञान के भी ग्राह्य एवं पठनीय हो जाते हैं। उद्देश्यविशेष की दृष्टि से विभिन्न विधियों द्वारा रेखाओं, शब्दों, चिह्नों, आदि का उपयोग किया जाता है, जिससे मानचित्र की ग्राह्यता एवं उपादेयता बढ़ जाती है। मानचित्र निर्माण के कला में पिछले कुछ दशकों में, विशेषकर [[द्वितीय महायुद्ध]] काल तथा परवर्ती काल में प्रचुर प्रगति हुई है और संप्रति कम से कम शब्दालेख के साथ मानचित्र में विभिन्न प्रकार के तथ्यों का सम्यक्‌ परिलेखन संभव हो गया है। किसी मानचित्र में कितने तथ्यों का ग्राह्य समावेश समुचित रूप से किया जा सकता है, यह मानचित्र के पैमाने, प्रक्षेप तथा मानचित्रकार की वैधानिक क्षमता एवं कलात्मक बोध आदि पर निर्भर करता है।
 
मानचित्र वस्तुत: त्रिविम (three dimensional) भूतल का द्विविम (two dimensional) चित्र प्रस्तुत करता है। मानचित्र में किसी क्षेत्र के वैसे रूप का प्रदर्शन किया जाता है जैसा वह ऊपर से देखने में प्रतीत होता है। अत: प्रत्येक मानचित्र में द्विविम स्थितितथ्य, अर्थात्‌ वस्तु की लंबाई, चौड़ाई चित्रित होती है, न कि ऊँचाई या गहराई। उदाहरणस्वरूप, साधारणतया धरातल पर स्थित पर्वत, मकान या पेड़ पौधों की ऊँचाई मानचित्र पर नहीं देख पाते और न ही समुद्रों आदि की गहराई ही देख पाते हैं, लेकिन संप्रति भू-आकृति का त्रिविम प्रारूप प्रदर्शित करने के लिये ब्लॉक चित्र (block diagrams) तथा उच्चावच मॉडल (relief model) आदि अत्यधिक सफलता के साथ निर्मित किए जा रहे हैं।
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2. उच्चावचन (relief) मानचित्र;
 
3. '''भूवैज्ञानिक (geological) मानचित्र''' : (इसमें भूगर्भिक-स्थितियों, चट्टानों, खनिज पदार्थों तथा मिट्टी आदि एवं उनका विस्तार आदि का समावेश रहता है);
 
4. '''समुद्र की गहराई (bathymetric) मापन मानचित्र--''' : इनमें समुद्रों, महासागरों या बड़ी झीलोंश् आदि की समुद्र तल से गहराई तथा उनके वितल (floor) की उँचाई निचाई प्रदर्शित की जाती है;
 
5. '''समुद्र एवं पर्वतीय (orographic) उच्चावचन मानचित्र''' : इनमें समुद्रों, महासागरों या झीलों की गहराई तथा पर्वतीय उँचाई निचाई का प्रदर्शन रहता है;
 
6. ऋतु या मौसम सूचक मानचित्र;
 
7. '''जलवायु मानचित्र''' -- इनमें अधिक कालावधि के ऋतु प्रकरणों की औसत दशाओं का वितरण दिखलाया जाता है;
 
8. '''वनस्पति एवं जीव संबंधी मानचित्र''' -- इनमें वनस्पति के विभिन्न प्रकार, जानवरों तथा मनुष्य आदि का वितरण दिखलाया जाता है;
 
9. '''राजनीतिक (political) मानचित्र''' : इनमें किसी राष्ट्र के विभिन्न स्तरीय प्रशासनिक खंडों, उपखंडों तथा उनके विभागों, उपविभागों, सीमाओं, प्रशासनिक केंद्रों आदि का समावेश रहता है (विभिन्न राष्ट्रसमूह आदि का भी साथ साथ दिखलाए जाते हैं, जैसे राष्ट्रकुल के देश);
 
10. '''जनसंख्या संबंधी मानचित्र''' : इनमें विभिन्न विधियों द्वारा आबादी का वितरण दिखलाया जाता है प्रजाति के अनुसार मानव के वितरण मानचित्र का मानव जाति (ethnographic) मानचित्र कहते हैं;
 
11. '''आर्थिक (economic) मानचित्र''' -- इनमें मुख्यत: वन साधन, कृषि की फसलों, खनिज तथा औद्यागिक वस्तुओं का वितरण दिखलाया जाता है (इन्हें संसाधन (resource) मानचित्र भी कहते हैं। व्यापारिक महत्व की वस्तुएँ, तथा व्यापार में सहायक साधनों जैसे यातायात साधन आदि दिखलानेवाले मानचित्रों को व्यापारिक मानचित्र कहते हैं। वितरण दिखलानेवाले मानचित्रों को वितरण मानचित्र कहते हैं;
 
12. '''ऐतिहासिक तथा पुरातात्विक मानचित्र''' -- इनमें प्राचीन ग्राम एवं नगर, प्राचीन राज्यों तथा साम्राज्यों की सीमा, युद्धस्थल, आक्रमण या रक्षा एवं यात्रा के मार्ग आदि का अंकन होता है तथा
 
13. '''सैनिक मानचित्र''' -- इनमें सैनिक महत्व के तथ्यों का अंकन होता है।
 
== मानचित्र की भाषा ==
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== भू-आकृति की उँचाई, निचाई तथा स्वरूप का प्रदर्शन ==
मानचित्र में भू-आकृति के विभिन्न स्वरूपों एवं आकृतियों को दिखाना कठिन कार्य है।श् भू-आकृति की उँचाई निचाई का अभिप्राय समुद्रतल से भूमि की उँचाई निचाई से है। जहाँ भूमि समुद्रतल से नीची है वहाँ निचाई ऋणात्मक (-) चिह्न द्वारा दिखाई जाती है एवं ऊँचाई या निचाई फुट या मीटर में दिखाई जाती है। मानचित्र पर भू-आकृति को दिखलाने की कई विधियाँ हैं:
*1. चित्र द्वारा प्रदर्शन,
*2. गणित द्वारा तथा
*3. मिश्रित विधियाँ।विधियाँ
 
=== चित्र द्वारा प्रदर्शन ===
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इसके अंतर्गत (अ) ऊर्ध्वाधर प्रदीप्ति और (ब) तिर्यक्‌ प्रदीप्ति विधियाँ आती हैं।
 
अ. '''ऊर्ध्वाधर प्रदीप्ति''' (Vertical illumination) - इस विधि में कल्पना की जाती है कि एक कल्पित प्रकाशपुंज भूमि के ऊपर प्रकाशित हो रहा है, जिसका प्रकाश ढाल के उतार चढ़ाव के क्रम के अनुसार कम बेशी होता है अपेक्षाकृत चपटे भाग हलकी छाया से दिखलाए जाते हैं।
 
ब. '''तिर्यक्‌ प्रदीप्ति''' (Oblique illumination) - इस विधि में कल्पना की जाती है कि मानचित्र के उत्तर-पश्चिमी कोने के बाहर प्रकाशपुंज रखा हुआ है। अत: उत्तर पश्चिमी ढाल प्रकाशित रहेगा और दक्षिण-पूर्वी भाग अँधेरे में रहेगा। छाया में पड़नेवाले भाग अधिक बड़े दिखाई देते हैं। समतल भाग भी छाया में पड़ने पर ढालवें दिखाई देते हैं। हैश्यूर की तरह ही पर्वतीय छायाविधि में ढालक्रम का ठीक ज्ञान नहीं हो पाता, परंतु इसमें बिंदुओ की सहायता ली जाती है, अत: यह अपेक्षाकृत सुविधाजनक होता है और कम समय में तैयार हो जाता है।
 
==== स्तर वर्ण (layer tint) बिधि ====
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* [[बिट मानचित्र]]
* [[समोच्च नक्शा]]
* [[भू- वैज्ञानिक मानचित्र]]
* [[कार्नो मानचित्र]]
* [[स्मृति मानचित्र]]
* [[मौसम मानचित्र]]
* [[स्थलाकृतिक मानचित्र]]
* [[भूवैज्ञानिक]]
 
== वितरण मानचित्र एवं मानारेख ==
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* [[चित्रीय विधि]] (Pictorial method)
* [[प्रतीकात्मक विधि]] (Choro-Schematic or Symbol method)
:(1) ज्यामितीय प्रतीक
:(2) चित्रमय प्रतीक
:(3) मूलाक्षर प्रतीक
 
== इन्हें भी देखें ==