"नमाज़": अवतरणों में अंतर

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इन्हें भी देखें-अज़ान
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हमारी माअनवी तर्बीयत के लिए अनबया-ए-अलैहिम अस्सलाम को भेजा, नेक बुख़ती और सआदत के लिए आईन वज़ा किए, हलाल-ओ-हराम में फ़र्क़ वाज़िह किया। हमारी माद्दी ज़िंदगी और रुहानी हयात को हर तरह से दुनियावी और उखरवी सआदत हासिल करने और कमाल की मंज़िल तक पहुंचने के वसाइल फ़राहम किए। ख़ुदा से ज़्यादा किस ने हमारे साथ नेकी और एहसान किया है कि इस से ज़्यादा इस हक़ शुक्र की अदायगी का लायक़ और सज़ावार हो। इंसानी वज़ीफ़ा और हमारी अक़ल-ओ-वजदान हमारे ऊपर लाज़िम क़रार देती हैं कि हम उस की इन नेअमतों का शुक्र अदा करें और उन नेकियों के शुक्राना में उसकी इबादत करें और नमाज़ अदा करें। चूँकि वो हमारा ख़ालिक़ है, लिहाज़ा हम भी सिर्फ उसी की इबादत करें और सिर्फ इसी के बंदे रहें और मशरिक़-ओ-मग़रिब के ग़ुलाम ना बनें।
नमाज़ ख़ुदा की शुक्रगुज़ारी है और साहिब वजदान इंसान नमाज़ के वाजिब होने को दृक् करता है। जब एक कुत्ते को एक हड्डी के बदले में जो उसको दी जाती है हक़शनासी करता है और दुम हिलाता है और अगर चोर या अजनबी आदमी घर में दाख़िल होता है तो इस पर हमला करता है तो अगर इंसान परवरदिगार की इन तमाम नेअमतों से लापरवाह और बे तवज्जा हो और शुक्र गुज़ारी के जज़बा से जो कि नमाज़ की सूरत में जलवागर होता है बेबहरा हो तो क्या ऐसा इंसान क़दरदानी और हक़शनासी में कुत्ते से पस्त और कमतर नहीं है।
 
==इन्हें भी देखें==
[[अज़ान]]
 
== सन्दर्भ ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/नमाज़" से प्राप्त