"बैठक": अवतरणों में अंतर

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===कार्यसूची===
बैठक में शमिल होने वाले सदस्यों को बैठक की आधिसूचना के साथ बैठक की कार्यसूची प्रदान करना एक परम्परागत रीति है। बैठक में पूरे किए जाने वाले कार्यो के विवरण का कार्यक्रम `कार्यसूची` कहलाती है। कार्यक्रम का विवरण जिस क्रम में दिया जाता है बैठक में उसी क्रम में उन पर विचार किया जाता है। कार्यसूची समिति या संगठन के सभी सदस्यों को भेजी जाती है तकि उन्हें बैठक से पहले ही बैठक में चर्चा किए जाने वाले व्यावसयिक मुद्दों का अध्ययन करने का पर्याप्त समय प्राप्त हो सके।
 
सचिव द्वारा अध्यक्ष के परामर्श से यह कार्यसूची तैयार की जाती है और इसे तैयार करते समय पिछली बैठक की कार्य-मदों को भी ध्यान में रखा जाता है। सचिव को उन मुद्दों पर एक नोट तैयार करना चहिए जिस पर सदस्यों के ध्यानाकर्षण की आवश्यकता होती है, तकि उन्हें अगली बैठक की कार्यसूची में शमिल किया जा सके।
 
बैठक की कार्यसूची की मदों को निम्नलिखित स्रोतों से तैयार किया जाना चहिए:
 
* पिछली कार्यसूची (आवर्ती मदें);
 
* पिछले कार्यवृत्त (सतत् मदें);
 
* सांविधिक प्रावधान (सांविधिक मदें);
 
* अध्यक्ष तथा सदस्य जिन मदों को शमिल करने का अनुरोध करते हैं।
 
कार्यसूची बैठक की आधिसूचना का भाग भी हो सकता है और इसे आधिसूचना के साथ संलग्न भी किया जा सकता है। जब कार्यसूची को आधिसूचना के अनुलग्नक के रुप में शमिल किया जाता है या अलग से परिपत्रित किया जाता है तो इसमें निम्नलिखित सूचनाएं होती हैं:
 
* संगठन का नाम तथा परिपत्रण की तारीख;
 
* बैठक की तारीख, समय तथा स्थान;
 
* बैठक में उठाए जाने वाले कार्यों की मदें;
 
* पृष्ठभूमि दस्तावेज या सूचना, यदि कोई हो।
 
यद्यपि कार्यसूची आधिसूचना का ही भाग होती है फिर भी इसमें केवल उठाए जाने वाले मुद्दों को ही शमिल किया जाता है क्योंकि आधिसूचना में अन्य ब्यौरे पहले से विद्यमान होते हैं। सामान्यत: कायसूची की प्रथम मद `पिछली बैठक के कार्यवृहों की पुष्टि ` होती है और अंतिम मद `अध्यक्ष की अनुमति से किसी मुद्दे की अनुमति` होती है। अन्य मुद्दों की व्यवस्था उनके महत्व के आधार पर की जाती है। बैठक में नेमी मुद्दों को पहले और विवादास्पद मुद्दों को बाद में लेना चहिए।
 
कार्यसूची को दो तरीकों से तैयार किया जा सकता है:
 
:*(क) मदों के शीर्षकों को संक्षेप में प्रस्तुत करके जैसे केवल कार्य की प्रकृति को दर्शाना; उदाहरण के लिए `पिछली बैठक के कार्यवृत`, `आनियमित रिक्तियां`
 
:* (ख) बैठक में उठाए जाने वाले मुद्दों का ब्यौरा प्रस्तुत करके; उदाहरणार्थ `7 अगस्त को आयोजित अंतिम बोर्ड बैठक के कार्यवृहों के अनुमोदन तथा हस्ताक्षर हेतु`, `खराब स्वास्थ्य के कारण कंपनी के निदेशक, श्री अवतार सिंह के त्यागपत्र के कारण निदेशक मंडल में रिक्त पद को भरने हेतु`, आदि।
 
===अध्यक्ष की कार्यसूची===
अध्यक्ष की कार्यसूची में सामान्य कार्यसूची की तुलना में आधिक सूचना होती है तथा अध्यक्ष की टिप्पणी के लिए कागज की दहिनी ओर खाली जगह छोड़ी जाती है। आतिरिक्त सूचना अध्यक्ष को सभी संबंधित विवरण प्रदान करती है जिसकी बैठक के दौरान आवश्यकता होती है।
 
===गणपूर्ति===
गणपूर्ति के बिना बैठक की कार्रवाई आरंभ नहीं हो सकती है। शब्द `कोरम` (गणपूर्ति) की उत्पत्ति लेटिन भाषा से हुई और इसे नियमों या सांविधिक प्रावधानों द्वारा अपेक्षित अनुसार बैठक में आनिवार्य रुप से उपस्थित होने वाले सदस्यों की न्यूनतम संख्या के रुप में परिभषित किया जाता है गणपूर्ति पूरी नहीं है तो बैठक का सही ठंग से आयोजन नहीं हो पाता है। यदि गणपूर्ति का मुख्य उद्देश्य बैठक में उपस्थित सदस्यों की कम संख्या होने पर कोई निर्णय लिए जाने से रोकना है जोकि आधिकतर सदस्यों को स्वीकार्य हो। गणपूर्ति के लिए अपेक्षित सदस्यों की संख्या का ब्यौरा संगठन के नियमों में होता है। 5û अध्यक्ष: बैठक के मुखिया को अध्यक्ष कहा जाता है। एक वैध बैठक के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण अपेक्षा यह है कि इसे नियमों और संविधिक प्रावधानों के अनुसार बैठक की कार्यविधि को उचित ढंग से संचलित करने के लिए बैठक की अध्यक्षता अध्यक्ष द्वारा की जाती है।
 
अध्यक्ष वह व्यक्ति है जिसे बैठक की कार्यविधियों की अध्यक्षता तथा आयोजन के लिए नियुक्त किया जाता है। इनकी नियुक्ति निम्नलिखित प्रयोजनों से की जाती है:
 
* बैठक की कार्यविधि का प्रबंधन तथा व्यवस्था बनाए रखना।
 
* कार्यसूची पर चर्चा किए जाने वाली मदों का अनुमोदन करना।
 
* बैठक की कार्यविधि को कार्यसूची तथा संविधान/मानक आदेशों/नियमों के अनुसार आयोजित करना: निर्धारित समयसीमा के भीतर ही चर्चा को कराना तथा क्रमानुसार सभी बिंदुओं को अनुमति देना (इस पाठ में आगे वर्णन किया गया है)।
 
* क्रमानुसार प्रश्नों को निपटाना।
 
* चर्चा को दिशा देना तथा संकल्पों, संशोधनों आदि को परित करके निर्णय लेने में सहायक होना।
 
* वोट या मतदान लेना व परिणाम की घोषणा करना।
 
* बैठक के कार्यवृह पर हस्ताक्षर करना तथा यथाअनुमोदित कार्रवाई को सुनिश्चित करना।
 
* बैठक के निर्देशों के अनुसार बैठक का समापन स्थगन या लंबित करना।
 
इन कर्तव्यों का निर्वाहन करने के लिए, अध्यक्ष को निम्नलिखित शक्तियां या प्रधिकार दिए गए हैं:
 
:* बैठक की कार्यवाही की प्रक्रिया को विनियमित करना: अध्यक्ष निर्णय ले सकता हैं कि सर्वप्रथम संबोधन कौन करेगा, आवंटित समय समाप्त होने पर वक्ता को रोक सकेंगे और सर्वप्रथम तथा उस पद्धति को विनियमित कर सकेंगे जिसके अंतर्गत बैठक की भावन सुनिश्चित की गई है। वह प्रस्ताव के पक्ष में या विपक्ष में मतदान की गणना करने के लिए गणनाकर्ता को नियुक्त कर सकता है।
 
:* व्यवस्था और मर्यादा को बनाए रखना: वह सदस्यों को अनुचित भाषा तथा व्यवहार से रोक सकता है और चर्चा के दौरान असंगत तथा व्यक्तिगत संदर्भो पर नियंत्रण रखेगा। वह सदस्यों को शिष्टाचारपूर्वक व्यवहार करने के लिए कह या उन्हें चेतावनी भी दे सकते हैं ओैर यदि उनके निर्देशों का अनुपालन न किया जाए तो वह सदस्य को बाहर जाने के लिए भी कह सकते हैं।
 
:* क्रमानुसार प्रश्नों का निर्धारण करना।
 
:* यदि किसी प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष में मतदान समान रहता है तो वह निर्णायक मत दे सकते हैं।
 
:* मतदान के परिणाम की घोषणा करना।
 
:* वह बैठक की कार्यवाही के कार्यवृहों से कुछ मुद्दों को निकाल सकते हैं जो उनके विचार में किसी व्यक्ति के लिए असम्मानजनक अथवा संगठन के हितों के लिए अनावश्यक या हनिकारक हैं।
 
===प्रस्ताव और संकल्प===
बैठक की कार्यवाही प्रस्तावों (motions) के अनुसार चलती है। प्रस्ताव (motion) विचारार्थ तथा निर्णय लेने के लिए बैठक से पहले ही शमिल किया जाता है। यह प्रस्ताव लिखित रुप में होना चहिए तथा बैठक से पूर्व अध्यक्ष या सचिव को सौंपा जाना चहिए। वह सदस्य जो प्रस्ताव को परित कराना चाहता है, सर्वप्रथम अध्यक्ष की अनुमति लेगा और तत्पश्चात् प्रस्ताव को बैठक के समक्ष प्रस्तुत करेगा। इस प्रस्ताव को लाने वाले सदस्य को इस विषय पर बोलने तथा चर्चा के अंत में प्रश्नों के उत्तर देने का आधिकार होता है। तत्पश्चात् इस प्रस्ताव को किसी अन्य सदस्य द्वारा समर्थन दिया जाता है, और इस सदस्य को समर्थक (seconder) कहते हैं। यदि बैठक में कोई सदस्य प्रस्ताव का समर्थन नहीं करता है तो इस प्रस्ताव को छोड़ दिया जाता है और इसे पुन: उठाया नहीं जाता है। यदि कोई प्रस्ताव अध्यक्ष द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तो उसके लिए समर्थक की आवश्यकता नहीं होती है। प्रस्ताव को औपचरिक रुप से बैठक के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के पश्चात, अध्यक्ष सदस्यों को अपने विचार व्यक्त करने को कहते हैं। इसप्रकार, जब प्रस्ताव बैठक में रखा जाता है तो वह `प्रश्न` बन जाता है और चर्चा के पश्चात् जब उस पर निर्णय ले लिया जाता है तो इसे परित किया जाता है, तब यह `संकल्प` बनता है। कार्यसूची में शमिल किए बिना भी प्रस्ताव को लाया जा सकता है किन्तु यदि `तात्कलिकता के प्रयोजन` के रुप में शमिल किए जाने अर्थात् `किसी अन्य कार्य` के लिए अध्यक्ष सहमति प्रदान करे या इसे परम्परागत मद में शमिल किया जाए।
 
संकल्प को स्वीकार किए जाने तथा बैठक के कार्यवृह में दर्ज किए जाने के बाद यह बैठक का कार्यालयी निर्णय बन जाता है। इसे परम्परागत रुप से प्रस्तवित, समर्थित तथा बैठक के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चहिए। एक संकल्प को उस बैठक में विखंडित नहीं किया जा सकता है जिसमें उसे स्वीकार किया गया है। इसप्रकार, संकल्प को बैठक के समक्ष प्रस्तुत किसी प्रस्ताव पर औपचरिक निर्णय के रुप में परिभषित किया जा सकता है। सामान्यत:, नियमों में दो प्रकार के संकल्पों को परित करने का प्रस्ताव है: सामान्य संकल्प और विशेष संकल्प। जब एक संकल्प सामान्य बहुमत से परित होता है तो उसे सामान्य संकल्प कहते हैं। इस प्रकार सामान्य बहुमत से तात्पर्य है कि संकल्प के पक्ष में पड़े मत विपक्ष के मतों से आधिक हैं। विशेष संकल्प वह संकल्प है जिसे तीन-चौथाई बहुमत से परित किया जाता है। इस प्रकार, विशेष संकल्प के पक्ष में पड़ने वाले मत विपक्ष के मतों से तीन गुना आधिक होने चहिए। विशेष संकल्प से परित किए जाने वाले मुद्दों को संबंधित निकाय के नियमों में विनिर्दिष्ट किया जाता है।
 
===संशोधन===
प्रस्ताव पर मतदान करने या उसे स्वीकार किए जाने से पूर्व उस पर संशोधन प्रस्ताव किया जा सकता है। संशोधन एक प्रस्ताव है जिसके द्वारा प्रस्ताव (मोशन) के कुछ शब्दों को जोड़ा या निकाला जा सकता है। इसे परम्परागत रुप से बैठक में प्रस्तवित समर्थित तथा परित किया जाना चहिए।
 
जब कोई प्रस्ताव संशोधित, समर्पित तथा स्वीकार किया जाता है तो मूल प्रस्ताव पर चर्चा को रोककर संशोधित प्रस्ताव पर चर्चा आरम्भ हो जाती है। चर्चा के पश्चात् इस पर मतदान किया जाता है और यदि यह पास हो जाता है तो मूल प्रस्ताव में संशोधन किया जाता है। परिवर्तित प्रस्ताव को `मूल प्रस्ताव(substantive motion)` कहा जाता है और तत्पश्चात् उसे बैठक के सामने प्रस्तुत किया जाता है। यदि मतदान संशोधन के पक्ष में नहीं होता है तो आधारभूत प्रस्ताव पर चर्चा को बहाल किया जाता है।
 
===स्थगन (Adjournment)===
संगठन के अनुच्छेदों, नियमों तथा सांविधिक प्रावधानों के मद्देनजर, अध्यक्ष सदस्यों की सहमति से बैठक की कार्यवाही को लंबित करने के लिए उसे स्थगित कर सकता है। इसका अर्थ है कि बैठक की कार्यवाही को निश्चित या आनिश्चित काल के लिए लंबित किया जाता है। यह स्थगन आदेश प्रत्येक प्रस्ताव के लिए किया जा सकता है। जब स्थगन आदेश मुख्य प्रस्ताव के लिए विधिवत रुप से प्रस्तवित, समर्थित किया जाता है तो आरंभिक प्रस्ताव पर चर्चा को रोक दिया जाता है। यदि स्थगन प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है तो इसे सहमत तिथि या आनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिय जाता है और स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की जाती है और मतदान किया जाता है। अध्यक्ष अपने विशेषधिकार के अंतर्गत बैठक या चर्चा को सद्भावना प्रयोजन के लिए स्थगित कर सकता है। अन्य स्थितियों में भी वह बैठक या चर्चा को स्थगित कर सकता है, जब बैठक की गणपूर्ति न हो या बैठक के दौरान काफी अव्यवस्था हो जाए जिसके कारण बैठक की कार्यवाही को चला पाना संभव न हो या बैलेट द्वारा मतदान या पोल के लिए समय की आवश्यकता हो या विवादास्पद बिंदुओं पर सूचना प्राप्त करनी हो तो वह अपनी इच्छा या खुशी के लिए बैठक की समप्ति तक इसकी कार्यवाही को नहीं रोक सकता है।
 
स्थगन बैठक की आधिसूचना जारी नहीं की जाती है क्योंकि इसे उसी बैठक का भाग माना जाता है तथा इस बैठक की तारीख, समय तथा स्थान का निर्धारण सामान्यत: स्थगन प्रस्ताव के समय ही किया जाता है। यदि बैठक को आनिशि्चत काल के लिए या दस दिन से आधिक समय के लिए स्थगित किया जाता है तो नई आधिसूचना जारी करने की आवश्यकता होती है।
 
===व्यवस्था का प्रश्न===
जब किसी विशेष प्रस्ताव पर चर्चा प्रगति पर हो तो कुछ सदस्य `व्यवस्था का प्रश्न` उठा सकते हैं। व्यवस्था का प्रश्न बैठक की कार्यवहियों या मानक आदेशों या बैठक के संरचना से संबंधित होता है। उदाहरण के लिए सदस्य अध्यक्ष का ध्यान बैठक की कार्यवाही संबंधी मुद्दों की ओर आकर्षित कर सकता है जैसे गणपूर्ति के पूरा न होने या बैठक के सामने रखा गया प्रस्ताव बैठक के कार्यक्षेत्र के अधीन नहीं हो या बैठक में अनुचित भाषा या अभद्र व्यवहार का प्रदर्शन किया गया हो। जब व्यवस्था का प्रश्न उठाया जाता है तो मुख्य प्रस्ताव पर हो रही चर्चा को रोक दिया जाता है। अध्यक्ष तत्काल अपना निर्णय देता है और वह अंतिम तथा सभी के लिए मान्य होता है। व्यवस्था के प्रश्न के निपटान के पश्चात्, मुख्य प्रस्ताव पर चर्चा पुन:आरंभ कर दी जाती है।
 
===कार्यवृत्त===
`कार्यवृत्त` का शब्दिक अर्थ है संज्ञान को संरक्षित रखना। इसे बैठक की कार्यवाही के आभिलेखों के रुप में परिभषित किया जा सकता है जिन्हें संक्षिप्त, सटीक तथा सुस्पष्ट रुप के रिकार्ड किया जाता है।
 
बैठक में उपस्थित होने तथा लिए गए निर्णायों का विवरण लिखने के लिए सचिव उत्तरदायी होता है। यह अत्यंत आवश्यक है कि परित किए गए प्रत्येक संकल्प और प्रस्तावकर्ता व समर्थनकर्ताओं के नाम आभिलिखित किए जाएं। बैठक के कार्यवृत्त को तैयार करने का प्राथमिक उत्तरदयित्व कार्यपालक (कंपनी सचिव या संबंधित संघ या क्लब के सचिव) का होता है।
 
वैयक्तिक सहायक/निजी सचिव श्रतुलेख (डिक्टेशन) लेगा और स्वच्छ रुप से टाइप करेगा। इसे कार्यवृह टाइप करने के कार्य का ज्ञान होना चहिए। कार्यवृत्त दो प्रकार के होते हैं।
 
*'''क. प्रस्ताव का कार्यवृत:''' मीटिंग में परित प्रस्तावों को ही प्रस्ताव के कार्यवृत में ‘आभिलिखित किया जाता है। उन्हें शब्दय: `प्रस्तवित` शब्द से आरम्भ किया जाता है जैसे प्रस्ताव की उसी शैली में। प्रस्तावकर्ता और समर्थनकर्ता के नाम भी इंगित किए जाने चहिए। जैसे श्री `ए` ने प्रस्तवित किया। श्री `बी` ने समर्थन किया और यह प्रस्तवित किया गया कि.................................
 
*'''ख. कार्यवृत का विवरण''' : ये कार्यवृत विस्तृत रुप में दिए जाते हैं और `व्यवसाय` के महत्वपूर्ण परिणाम और मद्दे, जिनके लिए औपचरिक प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं होती जैसे : `आधिसूचना पढ़ी गई` निदेशक की रिपोर्ट पढ़ी गई समझी गई।
 
कार्यवृत को खुले पन्नों में रखना लाभप्रद है क्योंकि इन्हें आसानी से टाइप किया जा सकता है। यदि यह तरीका अपनाया जाता है तो उसकी सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है। कार्यवृह को सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बैठक, मीटिंग की कार्यवहियों का महत्वपूर्ण स्थायी आभिलेख है जो बाद में व्यवसाय के पुनरीक्षण के उल्लेख में सहायक होता है। इससे यह ढूंढने में सहायता मिलती है कि कुछ निर्णय क्यों लिए गए हैं। बैठक के तुरन्त पश्चात् कार्यवृह तैयार कर लेना चहिए क्योंकि वे उस समय याद होते हैं। इन्हें तीसरे व्यक्ति के रुप में बीते गए समयानुसार लिखना चहिए।
 
कार्यवृह बिल्कुल सही होना चहिए तकि उससे सही कार्यवहियों का प्रदर्शन हो। संक्षेप ऐसा हो जिससे महत्वपूर्ण विषयों पर वार्ता और लिए गए निर्णयों के अगली बैठक में सुनिश्चित करना तकि जो बैठक में अनुपस्थित थे उन्हें कार्यवहियों से पूर्ण रुप से अवगत कराया जा सके और पूर्व विचार-विमर्श में किसी प्रकार का सन्देह न रहे। कार्यवृह मसौदा अक्सर विभिन्न क्रमिक रुप में अनुच्छेदों (पैराग्राफोंस), संख्याओं में और समुचित उप-शीर्षक में बनाया जाता है। अत:जब कार्यवृह का एक सैट टाइप किया जाता है तो उप-शीर्षक के लिए पर्याप्त बायां हशिया छोड़ना चहिए। तलिका रुप में इसका मसौदा तैयार किया जाता है। कार्यवृह में निम्नलिखित तथ्य सम्मिलित हों और निम्न क्रमानुसार आभिलिखित होने चहिए:
 
1. बैठक का विवरण, जिसमें बैठक की किस्म, (प्रकार), समय, तिथि और स्थान सम्मिलित हो।
 
2. बैठक की संरचना: उपस्थित सदस्यों (व्यक्तियों) के नाम, सर्वप्रथम मुख्याध्यक्ष का नाम और उसके पश्चात् बैठक में उपस्थित अन्य सदस्यों के नाम।
 
3. अनुपस्थिति के लिए क्षमायाचना
 
4. इससे पूर्व बैठक का कार्यवृह पढ़ना।
 
5. इससे उठाए गए विषय।
 
6. पत्राचार।
 
7. बैठक में किया गया व्यवसाय (व्यापार)। विशेष प्रस्ताव में अनुमोदित प्रस्ताव का पूर्ण विवरण प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष में दिए गए वोट। व्यवसाय की मदें जिन पर थोड़े व विस्तृत विवरण में प्रस्ताव पास नहीं हुआ। जैसे नोटिस पढ़ा गया, लेखा-जोखा पढ़ा हुआ समझ गया, अध्यक्ष को धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया, आदि।
 
8. अध्यक्ष की अध्यक्षता में सदस्यों द्वारा सामूहिक रुप से उठाई गई आपत्तियां और विरोध (प्रतिवाद) जहां सदस्य कार्यवृह में कार्यवहियों को सम्मिलित करने का आग्रह करें। निदेशकों के नाम कम्पनी बोर्ड की बैठक में परित प्रस्ताव से असहमत या सहयोग न देने वाले निदेशकों के नाम सम्मिलित होने चहिए:
 
9. '''काई अन्य कार्यवाही''' - इसे उसी क्रम में रिकार्ड किया जाता है जिस क्रम में यह बैठक के दौरान उठाई जाती हैं।
 
10. अगली बैठक की तारीख।
 
11. अध्यक्ष के हस्ताक्षर ब्लॉक तथा बैठक की तारीख जब कार्यवृह पर हस्ताक्षर किए जाते हैं।
 
सामान्यत: कार्यवृह की अंतिम प्रति को टाइप करने से पूर्व इसके मसौदे को अनुमोदनार्थ अध्यक्ष के पास भेजा जाता है।
 
यह ध्यान देने की बात है कि कार्यवृह को रिपोर्ट नहीं समझा जाना चहिए। रिपोर्ट बैठक में चर्चित सभी विषयों का ऐतिहसिक लेखाजोखा प्रस्तुत करती है और यह आधिक विस्तृत होती है। रिपोर्ट हमेशा वर्णनात्मक रुप में ही तैयार की जाती है और इसमें वक्ताओं के नाम, प्रत्येक प्रस्ताव के पक्ष में और विपक्ष में दिए गए तर्क, वे मुद्दे जिन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है, सदस्यों की भावना, मतदान की विधि आदि का ब्यौरा होता है अर्थात बैठक की कार्यवाही का पूर्ण विवरण प्रस्तुत होता है। दूसरी ओर, कार्यवृह में केवल बैठक में लिए गए निर्णयों को ही शमिल किया जाता है।
 
==बैठक की कार्यवाही==
 
== इन्हें भी देखें ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बैठक" से प्राप्त