"ममता कालिया": अवतरणों में अंतर

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{{ज्ञानसन्दूक लेखक
| नाम = ममता कालिया
| पति = [[ रवीन्द्र कालिया ]]
| जन्मतारीख़ = [[०२ नवम्बर]], [[१९४०]]
| जन्मस्थान = [[ वृन्दावन ]], [[ उत्तर प्रदेश]], [[भारत]]
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| विषय = [[कहानी ]], [[ नाटक ]], [[ उपन्यास ]], [[ निबंध ]], [[ कविता ]], और [[ पत्रकारिता ]]
| प्रमुख कृति = अपत्‍नी, दौड़, एक दिन अचानक, मेला, परदेसी, पीठ और दुक्खम्‌-सुक्खम्‌
| पुरुस्कार एवम् सम्मान = साहित्य भूषण सम्मान, यशपाल स्मृति सम्मान, महादेवी स्मृति पुरस्कार, कमलेश्वर स्मृति सम्मान, सावित्री बाई फुले स्मृ्ति सम्मान, अमृत सम्मान, लमही सम्मान, सीता पुरस्कार
| टीका-टिप्पणी = [[यशपाल सम्मान]] से सम्मानित, अभिनव-भारती (कलकत्ता), लमही सम्मान (८ अक्तूबर २०१०)
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''' ममता कालिया ''' का जन्म ([[०२ नवम्बर ]] [[१९४०]]) को वृन्दावन में हुआ । उनके पिता स्व श्री विद्याभूषण अग्रवाल जी थे । ममता जी की शिक्षा दिल्ली, मुंबई, पुणे, नागपुर और इन्दौर शहरों में हुई। उनके पिता स्व श्री विद्याभूषण अग्रवाल पहले अध्यापन में और बाद में [[ आकाशवाणी ]] में कार्यरत रहे। वे हिंदी और अंग्रेजी साहित्य के विद्वान थे और अपनी बेबाकबयानी के लिए जाने जाते थे। ममता पर पिता के व्यक्त्वि की छाप साफ दिखाई देती है।
ममता कालिया ने कहानी, नाटक, उपन्यास, निबंध, कविता और पत्रकारिता अर्थात साहित्य की लगभग सभी विधाओं में अपनी कलम का जादू बिखेरा। उन्होंने अपने लेखन में रोजमर्रा के संघर्ष में युद्धरत स्त्री का व्यक्तित्व उभारा। अपनी रचनाओं में वह न केवल महिलाओं से जुड़े सवाल उठाती हैं, बल्कि उन्होंने उनके उत्तर देने की भी कोशिश की हैं।
 
'प्यार शब्द घिसते घिसते चपटा हो गया है अब हमारी समझ में सहवास आता है' जैसी साहसी कविताओं से लेखन आरंभ कर ममता ने अपनी सामर्थ्य और मौलिकता का परिचय दिया और जल्द ही कथा-साहित्य की ओर मुड गईं। उन्होंने अपने कथा-साहित्य में हाडमाँस की स्त्री का चेहरा दिखाया। जीवन की जटिलताओं के बीच जी रहे उनके पात्र एक निर्भय और श्रेष्ठतर सुलूक की माँग करते हैं जहाँ आक्रोश और भावुकता की जगह सत्य और संतुलन का आग्रह है।
 
 
 
== जीवन परिचय ==
''' ममता कालिया ''' का जन्म ([[०२ नवम्बर ]] [[१९४०]]) को वृन्दावन में एक प् प्रतिष्ठित परिवार में हुआ । उनके पिता स्व श्री विद्याभूषण अग्रवाल जी पहले अध्यापन में और बाद में [[ आकाशवाणी ]] में कार्यरत रहे। वे हिंदी और अंग्रेजी साहित्य के विद्वान थे । ममता कालिया पिछले तैंतीस वर्षो से अध्यापन से जुड़ी रही हैं और संप्रति महिला सेवा सदन डिग्री कॉलेज इलाहाबाद में प्राचार्या हैं। वे प्रख्यात रचनाकार श्री [[ रवीन्द्र कालिया ]] की पत्नी हैं और उनके दो बेटे हैं अनिरुद्ध और प्रबुद्ध।
 
 
== प्रमुख कृतियाँ ==
=== कहानी संग्रह ===
* छुटकारा
* एक अदद औरत
* सीट नं. छ:
* उसका यौवन
* जाँच अभी जारी है
* प्रतिदिन
* मुखौटा
* निर्मोही
* थिएटर रोड के कौए
* पच्चीस साल की लड़की
* ममता कालिया की कहानियाँ (दो खंडों में अब तक की संपूर्ण कहानियाँ)
 
=== उपन्यास ===
* बेघर
* नरक दर नरक
* प्रेम कहानी
* लड़कियाँ
* एक पत्नी के नोट्स
* दौड़
* अँधेरे का ताला
* दुक्खम्‌ - सुक्खम्‌
 
=== कविता संग्रह ===
* खाँटी घरेलू औरत
* कितने प्रश्न करूँ
* नरक दर नरक
* प्रेम कहानी
 
=== नाटक संग्रह ===
* यहाँ रहना मना है
* आप न बदलेंगे
 
=== संस्मरण ===
* कितने शहरों में कितनी बार
 
=== अनुवाद ===
* मानवता के बंधन (उपन्यास - सॉमरसेट मॉम)
 
=== संपादन ===
* हिन्दी (महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की त्रैमासिक अंग्रेज़ी पत्रिका)
 
 
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== बाहरी कड़ियां ==
 
* [http://hi.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%AE%E0%A4%AE%E0%A4%A4%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE ममता कालिया ]
* [http://gadyakosh.org/gk/%E0%A4%AE%E0%A4%AE%E0%A4%A4%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE ममता कालिया ]
* [http://www.hindisamay.com/writer/writer_details_n.aspx?id=288 ममता कालिया ]