"भागीदारी": अवतरणों में अंतर

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==सीमित दायित्व साझेदारी==
{{मुख्य|सीमित देयता भागीदारी}}
 
एक ऐसा व्यावसायिक संगठन जिसमें पेशेवर निपुणता तथा उद्यमशीलता का सम्मिश्रण हो तथा जिसके प्रचालन में लचीलापन, नवप्रवर्तन व कुशल प्रविधि तथा आंतरिक संरचना को संगठित करते समय सदस्यों को सीमित दायित्व के लाभ प्राप्त करने की छूट हो, सीमित दायित्व साझेदारी कहलाती है।
 
* भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के चलते, इसके उद्यमियों की भूमिका तथा साथ ही इसकी तकनीकी व पेशेगत मानव शक्ति को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली है। समयानुकूल यह महसूस किया गया कि उद्यमशीलता, ज्ञान व जोखिम पूँजी एक जुट होकर भारत की आर्थिक वृ( को और प्रोत्साहन दे। इसी पृष्ठभूमि में, इस बात की आवश्यकता महसूस की गई कि एक ऐसा निगमित संगठन स्वरूप हो जो परंपरागत साझेदारी संगठन का विकल्प उपलब्ध कराए जिसमें एक ओर तो असीमित व्यक्तिगत दायित्व हो तथा दूसरी ओर सीमित दायित्व कंपनी की प्रतिभा आधरित आध्किरिक संरचना हो।
 
* सीमित दायित्व साझेदारी को एक ऐसे वैकल्पिक व्यवसाय के रूप में देखा गया है जो सीमित दायित्व के लाभ उपलब्ध कराता है परंतु साथ ही इसके सदस्यों को पारस्परिक समझौते पर आधरित साझेदारी के रूप में आंतरिक संरचना को संगठित करने का लचीलापन भी सुलभ कराता है। सीमित दायित्व साझेदारी स्वरूप उद्यमियों, पेशेवरों तथा उपक्रमों को किसी भी प्रकार की सेवा उपलब्ध कराने अथवा वैज्ञानिक तथा तकनीकी विषयों में संलग्न होने में समर्थ बनाता है ताकि वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कुशल वाणिज्यिक कार्य चला सकें। अपने संगठन तथा प्रचालन में लचीलेपन के कारण सीमित दायित्व साझेदारी, लघु उपक्रमों तथा नए पूँजी निवेश के लिए भी उपयुक्त है।
 
* समय की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए संसद ने ‘सीमित दायित्व साझेदारी अधिनियम, 2008’ पारित किया जिसे 7 जनवरी 2009 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली।
 
===सीमित दायित्व साझेदारी अधिनियम 2008 की महत्वपूर्ण विशेषताएँ===
* सीमित दायित्व साझेदारी एक निगमित संस्था होगी जिसका अपने साझेदारों से पृथक वैधनिक अस्तित्व होगा। सीमित दायिव साझेदारी स्वरूप बनाने के लिए कोई भी दो अथवा अधिक व्यक्ति मिलकर लाभ को दृष्टि में रखते हुए कानून सम्मत व्यवसाय चलाने के लिए निगमन प्रपत्रा में अपने नामों को सम्मिलित करके पंजीयक के पास निगमन प्रपत्रा जमा कर सकते हैं। सीमित दायित्व साझेदारी का शाश्वत अस्तित्व होगा।
 
* सीमित दायित्व साझेदारी के साझेदारों के आपसी अधिकार तथा कर्त्तव्य और साझेदारों का अपनी फर्म से संबंध्ति एक समझौते द्वारा तथा ‘सीमित दायित्व साझेदारी, अधिनियम, 2008’ के प्रावधनों से नियमित होते हैं। अधिनियम, साझेदारों को उनकी इच्छानुसार समझौते को नया रूप देने का लचीलापन उपलब्ध कराता है। किसी समझौते की अनुपस्थिति में आपसी अधिकर तथा कर्त्तव्य, ‘सीमित दायित्व साझेदारी अधिनियम 2008’ के प्रावधनों से शासित होते हैं।
 
* सीमित दायित्व साझेदारी एक पृथक कानूनी इकाई होगी तथा अपनी संपत्तियों की सीमा तक उत्तरदायी होगी, साथ ही सभी साझेदारों का दायित्व भी सीमित दायित्व साझेदारी में उनके सहमत अनुपात तक सीमित होगा जो मूर्त अथवा अमूर्त अथवा दोनों प्रकार का हो सकता है। कोई भी साझेदार, अन्य साझेदारों द्वारा किए गए स्वतंत्रा तथा अप्राध्कित क्रियाकलापों अथवा बुरे आचरण के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। जो साझेदार, लेनदारों को धेखा देने में संलग्न होंगे अथवा धेखेबाजी के उद्देश्य से कार्य करेंगे तो सीमित दायित्व साझेदारी के सभी प्रकार के दायित्वों हेतु ऐसे साझेदारों का दायित्व असीमित माना जाएगा।
 
* प्रत्येक सीमित दायित्व साझेदारी में न्यूनतम दो साझेदार आवश्यक होंगे तथा न्यूनतम दो व्यक्तिगत साझेदार होंगे और उनमें से एक भारत का निवासी होना चाहिए। विशिष्ट कार्य हेतु साझेदार के अधिकर एवं कर्त्तव्य अधिनियम के अनुसार होने चाहिए।
 
==इन्हें भी देखें==