"रणकपुर": अवतरणों में अंतर
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{{मुख्य|रणकपुर जैन मंदिर}}
[[चित्र:Worshippers leaving the temple in Ranakpur.jpg|right|thumb|300px|रणकपुर के जैन मंदिर से निकलते तीर्थ यात्री]]
मुख्य मंदिर प्रथम जैन तीर्थंकर [[आदिनाथ]] को समर्पित चौमुख मंदिर है। यह मंदिर चारों दिशाओं में खुलता है। इस मंदिर का निर्माण 1439 में हुआ था। संगमरमर से बने इस खूबसूरत मंदिर में 29 विशाल कमरे हैं जहां 1444 खंबे लगे हैं। इनकी खासियत यह है कि ये सभी खंबे एक-दूसरे से भिन्न हैं। मंदिर के पास के गलियारे में बने मंडपों में सभी 24 तीर्थंकरों की तस्वारें उकेरी गई हैं। सभी मंडपों में शिखर हैं और शिखर के ऊपर घंटी लगी है। हवा चलने पर इन घंटियों की आवाज पूरे मंदिर में गूंजती है।
मंदिर परिसर में [[नेमीनाथ]] और [[पारसनाथ]] को समर्पित दो मंदिर हैं जिनकी नक्काशी [[खजुराहो]] की याद दिलाती है। 8वीं शताब्दी में बने [[सूर्य मंदिर]] की दीवारों पर योद्धाओं और घोड़ों के चित्र उकेरे गए हैं। मुख्य मंदिर से लगभ्ाग 1 किमी. की दूरी पर अंबा माता मंदिर है।
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