"उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन": अवतरणों में अंतर
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== संक्षिप्त इतिहास ==
[[उत्तराखण्ड]] संघर्ष से राज्य के गठन तक जिन महत्वपूर्ण तिथियों और घटनाओं
* [[भारतीय स्वतंत्रता आन्देालन]] की एक इकाई के रूप में [[उत्तराखंड में स्वाधीनता संग्राम]] के दौरान [[१९१३]] के [[कांग्रेस अधिवेशन]] में [[उत्तराखण्ड]] के अधिकांश प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। इसी वर्ष [[उत्तराखण्ड]] के [[अनुसूचित जातियों]] के उत्थान के लिये गठित [[टम्टा सुधारिणी सभा]] का रूपान्तरण एक व्यापक [[शिल्पकार महासभा]] के रूप में हुआ।
* १९१६ के सितम्बर माह में [[गोविन्द बल्लभ पंत]], [[हरगोविन्द पंत]], [[बद्री दत्त
* [[१९२६]] में [[कुमाऊँ परिषद्]] का [[कांग्रेस]] में विलीनीकरण कर दिया गया।
* आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मई १९३८ में तत्कालीन ब्रिटिश शासन में [[गढ़वाल मण्डल|गढ़वाल]] के [[श्रीनगर, उत्तराखण्ड|श्रीनगर]] में आयोजित [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] के अधिवेशन में पण्डित [[जवाहर लाल नेहरू]] ने इस पर्वतीय क्षेत्र के निवासियों को अपनी परिस्थितियों के अनुसार स्वयं निर्णय लेने तथा अपनी संस्कृति को समृद्ध करने के आंदोलन का समर्थन किया।
* सन् १९४० में [[हल्द्वानी]] सम्मेलन में
* वर्ष [[१९५७]] में [[योजना आयोग]] के उपाध्यक्ष [[
* १९९४ [[उत्तराखण्ड]] राज्य एवं आरक्षण को लेकर छात्रों ने सामूहिक रूप से आन्दोलन किया। [[मुलायम सिंह यादव]] के [[उत्तराखण्ड]] विरोधी वक्तव्य से क्षेत्र में आन्दोलन तेज हो गया। [[उत्तराखण्ड क्रान्ति दल]] के नेताओं ने अनशन किया। [[उत्तराखण्ड]] में सरकारी कर्मचारी पृथक राज्य की माँग के समर्थन में लगातार तीन महीने तक हड़ताल पर रहे तथा [[उत्तराखण्ड]] में चक्काजाम और पुलिस फायरिंग की घटनाएँ हुईं। [[उत्तराखण्ड]] आन्दोलनकारियों पर मसूरी और [[खटीमा]] में पुलिस द्वारा गोलियाँ चलाईं गईं। संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में [[२ अक्टूबर]], [[१९९४]] को दिल्ली में भारी प्रदर्शन किया गया। इस संघर्ष में भाग लेने के लिये उत्तराखण्ड से हज़ारों लोगों की भागीदारी हुई। प्रदर्शन में भाग लेने जा रहे आन्दोलनकारियों को [[मुजफ्फर नगर]] में बहुत प्रताड़ित किया गया और उन पर पुलिस ने गोलीबारी की और लाठियाँ बरसाईं तथा महिलाओं के साथ अश्लील व्यवहार और अभद्रता की गयी। इसमें अनेक लोग हताहत और घायल हुए। इस घटना ने [[उत्तराखण्ड आन्दोलन]] की आग में घी का काम किया। अगले दिन तीन अक्टूबर को इस घटना के विरोध में [[उत्तराखण्ड]] बंद का आह्वान किया गया जिसमें तोड़फोड़ गोलीबारी तथा अनेक मौतें हुईं।
* [[७ अक्टूबर]], १९९४ को देहरादून में एक महिला आन्दोलनकारी की मृत्यु हो हई इसके विरोध में आन्दोलनकारियों ने पुलिस चौकी पर उपद्रव किया।
* [[१५ अक्टूबर]] को देहरादून में कर्फ़्यू लग गया और उसी दिन एक आन्दोलनकारी शहीद हो गया।
* [[२७ अक्टूबर]], १९९४ को देश के तत्कालीन गृहमंत्री [[राजेश पायलट]] की आन्दोलनकारियों की वार्ता हुई। इसी बीच श्रीनगर में श्रीयंत्र टापू में अनशनकारियों पर पुलिस ने बर्बरतापूर्वक प्रहार किया जिसमें अनेक आन्दोलनकारी शहीद हो गए।
* [[१५ अगस्त]], [[१९९६]] को तत्कालीन प्रधानमंत्री [[एच.डी.
* [[१९९८]] में केन्द्र की [[भारतीय जनता पार्टी|भाजपा]] गठबंधन सरकार ने पहली बार राष्ट्रपति के माध्यम से उ.प्र. विधानसभा को '''उत्तरांचल विधेयक''' भेजा। उ.प्र. सरकार ने २६ संशोधनों के साथ उत्तरांचल राज्य विधेयक विधान सभा में पारित करवाकर केन्द्र सरकार को भेजा। केन्द्र सरकार ने [[२७ जुलाई]], [[२०००]] को उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक २००० को [[लोकसभा]] में प्रस्तुत किया जो [[१ अगस्त]], २००० को लोकसभा में तथा [[१० अगस्त]], २००० अगस्त को [[राज्यसभा]] में पारित हो गया। [[भारत के राष्ट्रपति]] ने उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को [[२८ अगस्त]], २००० को अपनी स्वीकृति दे दी और इसके बाद यह विधेयक अधिनियम में बदल गया और इसके साथ ही ९ नवंबर, २००० को [[उत्तरांचल]] राज्य अस्तित्व मे आया जो अब [[उत्तराखण्ड]] नाम से अस्तित्व में है।
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