"खुशवन्त सिंह": अवतरणों में अंतर

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{{Infobox person
| name = खुशवंतखुशवन्त सिंह
| birth_name = खुशाल सिंह
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| caption = [[नई दिल्ली]] में खुशवंतखुशवन्त सिंह
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| birth_place = हडलीहदाली, [[अविभाजित भारत]] (वर्तमान [[पाकिस्तान]] में सरगोधा जिला)
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| death_place = नई दिल्ली
| nationality = भारतीय
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'''खुशवंतखुशवन्त सिंह''' (जन्म: 2 फरवरी 1915, मृत्यु: 20 मार्च 2014) भारत के एक प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, उपन्यासकार और इतिहासकार थे। एक पत्रकार के रूप में इन्होंनेउन्हें बहुत लोकप्रियता मिली। उन्होंने पारंपरिक तरीका छोड़ नएनये तरीके की पत्रकारिता की थी। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में भी खुशवंतखुशवन्त सिंह जी ने काम किया। 1980 से 1986 तक वे राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे।<ref name="pib-20mar14"> {{cite web | url = http://pib.nic.in/newsite/hindirelease.aspx?relid=27442 | title=श्री खुशवंत सिंह के निधन पर उप-राष्‍ट्रपति का शोक संदेश | publisher = पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार | date= 20 मार्च 2014 | accessdate = 20 मार्च 2014}}</ref>
 
खुशवंतखुशवन्त जितने भारत में लोकप्रिय थे उतने ही पाकिस्तान में भी लोकप्रिय थे। उनकी किताब [[ट्रेन टू पाकिस्तान]] बेहद लोकप्रिय हुई। इस पर फिल्म भी बन चुकी है। खुशवंतखुशवन्त [[पद्म भूषण]] और [[पद्म विभूषण]] से भी सम्मानित किए जा चुके हैं। वे अपना जीवन जिंदादिली से जीते रहे।
 
खुशवंत जितने भारत में लोकप्रिय थे उतने ही पाकिस्तान में भी लोकप्रिय थे। उनकी किताब [[ट्रेन टू पाकिस्तान]] बेहद लोकप्रिय हुई। इस पर फिल्म भी बन चुकी है। खुशवंत [[पद्म भूषण]] और [[पद्म विभूषण]] से भी सम्मानित किए जा चुके हैं। वे अपना जीवन जिंदादिली से जीते रहे।
 
==व्यक्तिगत जीवन ==
खुशवंतखुशवन्त सिंह का जन्म 2 फ़रवरी, 1915, हदाली, पंजाब (अविभाजित भारत) में हुआ था। खुशवंत सिंह जी ने 'गवर्नमेंट कॉलेज', लाहौर और 'कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी' में शिक्षा पाई थी। इसके बाद लंदन से ही क़ानून की डिग्री ली। उसके बाद तक वे लाहौर में वकालत करते रहे। खुशवंत सिंह केउनके पिता का नाम सर सोभा सिंह था, जो अपने समय के प्रसिद्ध ठेकेदार थे। उस समय सोभा सिंह को आधी दिल्ली का मालिक कहा जाता था।
 
खुशवंतखुशवन्त सिंह जी का विवाह कंवल मलिक के साथ हुआ। इनके बेटेपुत्र का नाम राहुल सिंह और पुत्री का नाम माला है। उनका निधन 99 साल की उम्र में 20 मार्च 2014 को होनई गया।दिल्ली में हुआ।
<ref>{{cite news|url=http://aajtak.intoday.in/story/noted-writer-and-journalist-khushwant-singh-dies-at-99-1-758346.html |title=औरत, स्कॉच और इतिहास पर लिखने वाला सबसे मजेदार सरदार खुशवंत सिंह हुआ 99 पर आउट |publisher=आज तक |date=20 मार्च 2014 |accessdate=20 मार्च 2014}}</ref>
 
==कैरियर==
==करियर==
एक पत्रकार के रूप में भी खुशवंतखुशवन्त सिंह जी ने अच्छा नाम अर्जित किया और पत्रकारिता में बहुत ख्याति अर्जित की। 1951 में वोवे आकाशवाणी से जुड़े थे और 1951 से 1953 तक भारत सरकार के पत्र 'योजना' का संपादन किया। 1980 तक मुंबई से प्रकाशित प्रसिद्ध अंग्रेज़ी साप्ताहिक 'इल्लस्ट्रेटेडइलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया' के और 'न्यू डेल्ही' के संपादक वे 1980 तक थे।रहे।
 
1983 तक दिल्ली के प्रमुख अंग्रेज़ी दैनिक 'हिन्दुस्तान टाइम्स' के संपादक भी वही थे। तभी से वोवे प्रति सप्ताह एक लोकप्रिय 'कॉलम' लिखते हैं, जो अनेक भाषाओं के दैनिक पत्रों में प्रकाशित होता है। खुशवंतखुशवन्त सिंह उपन्यासकार, इतिहासकार और राजनीतिक विश्लेषक के रूप में विख्यात रहे हैं।
 
साल 1947 से कुछ सालों तक खुशवंतखुशवन्त सिंह जी ने भारत के विदेश मंत्रालय में विदेश सेवा के महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। साल 1980 से 1986 तक वे राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे।
 
वर्तमान संदर्भों और प्राकृतिक वातावरण पर भी उनकी कई रचनाएं हैं। दो खंडों में प्रकाशित 'सिक्खों का इतिहास' उनकी प्रसिद्ध ऐतिहासिक कृति है। साहित्य के क्षेत्र में पिछले सत्तर वर्ष में खुशवंतखुशवन्त सिंह का विविध आयामी योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
 
खुशवंतखुशवन्त सिंह ने कई अमूल्य रचनाएं अपने पाठकों को प्रदान की हैं। उनके अनेक उपन्यासों में प्रसिद्ध हैं - 'डेल्ही', 'ट्रेन टू पाकिस्तान', 'दि कंपनी ऑफ़ वूमन' । इसके अलावा उन्होंने लगभग 100 महत्वपूर्ण किताबें लिखी हैं।लिखी। अपने जीवन में सेक्स, मजहब और ऐसे ही विषयों पर की गई टिप्पणियों के कारण वे हमेशा आलोचना के केंद्र में बने रहे। उन्होंने इलेस्ट्रेटेड विकली जैसी पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
 
==सम्मान==
[[भारत सरकार]] द्वारा [[साहित्य एवं शिक्षा]] के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें 1974 में [[पद्म भूषण]] और 2007 में [[पद्म विभूषण]] से भी इन्हें सम्मानित किया गया था।गया।
 
==सन्दर्भ==