"पवन ऊर्जा": अवतरणों में अंतर

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== पवन ऊर्जा का मूल सिद्धांत ==
 
सूर्य प्रति सेकण्ड पचास लाख टन पदार्थ को ऊर्जा में परिवर्तित करता है ।है। इस ऊर्जा का जो थोड़ा सा अंश पृथ्वी पर पहुचता है , वह यहाँ कई रूपों में प्राप्त होता है।सौरहै। सौर विकिरण सर्वप्रथम पृथ्वी की सतह या भूपृष्ठ द्वारा अवशोषित होताकिया जाता है , और तत्पश्चात विभिन्न रूपों में आसपास के वायुमंडल में स्थानांतरित हो जाता है ।है। चूँकि पृथ्वी की सतह एक सामान या समतल नहीं है , अतः अवशोषित ऊर्जा की मात्रा भी स्थान व समय के अनुसार भिन्न - भिन्न होती हैहै। ।इसकेइसके परिणामस्वरूप तापक्रम , घनत्व तथा दबाव संबंधी विभिन्नताएं उत्पन्न होती है जो फिर ऐसे बलों को उत्पन्न करती है जो वायु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवाहित होने के लिए विवश कर देते है ।है। गर्म होने से विस्तारित वायु जो की गर्म होने से हलकी हो जाती है , ऊपर को उठती है तथा ऊपर की ठंडी वायु नीचे आकर उसका स्थान ले लेती है ।है। इसके फलस्वरूप वायुमंडल में अर्ध - स्थायी पैटर्न उत्पन्न हो जाते है ।है। वायु का चलन सतह के असमान गर्म होने के कारण होता है ।है।
 
== पवन ऊर्जा के उपयोग के लाभ ==