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'''बलदेव अग्रहरि''', [[भारतेन्दु|भारतेन्दुकालीन]] नाट्य [[लेखक]] थे। सन् 1887 मे प्रकाशित इनकी नाट्य पुस्तक 'सुलोचना सती' को अत्यधिक ख्याति मिली।<ref>{{cite book|url=http://books.google.co.in/books?id=JPMSAAAAMAAJ |title=हिन्दी नाटकः पुनर्मूल्यांकन |author=सत्येन्द्र तनेजा|publisher= ग्रंथम (कानपुर) |year=१९७१|isbn=}}</ref><ref>{{cite book|url=http://books.google.co.in/books?id=s-1HAAAAMAAJ |title=भरतेन्दुकालीन नाटक साहित्य |author=गोपीनाथ तिवारी|publisher=हिन्दी भवन|year=१९५९|isbn=}}</ref>
 
==सन्दर्भ==
== संदर्भ ==
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भरतेन्दुकालीन नाटक साहित्य, लेखकः गोपीनाथ तिवारी, प्रकाशकः हिंदी भवन 1959
* हिंदी नाट्य साहित्य की मीमांसा, लेखक: सी. पी. सिंह, 21 सितबंर 2006
 
हिंदी नाटकः पुनर्मूल्यांकन, लेखक: सत्येन्द्र तनेजा, प्रकाशक: ग्रंथम 1971
 
हिंदी नाट्य साहित्य की मीमांसा, लेखक: सी. पी. सिंह, 21 सितबंर 2006
 
[[श्रेणी:हिन्दी नाटककार]]