"विज्ञान कथा साहित्य": अवतरणों में अंतर

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व्यास जी [[संस्कृत]] के असाधारण विद्वान् थे। व्यास प्रणीत ‘शिव राज विजय’ नामक संस्कृत उपन्यास संस्कृत साहित्य का अमर ग्रंथ हैं। इनके कवित्व का उत्कृष्टतम् मीमांसा’, ‘मूर्ति पूजा’, ‘सुकवि सतसई’, ‘सामवतम्’ आदि हैं। आपने ‘वैष्णव पत्रिका’, ‘पीयूष प्रवाह’ और ‘सारन-सरोज' नामक पत्रों का अनेक वर्षों तक सफलतापूर्वक संपादक किया। आप के वैदुष्य और काव्य चातुर्य से प्रभावित होकर कांकरौली नरेश ने ‘भारत-रत्न’ और अयोध्या नरेश ने ‘शतावधानी’ की उपाधियों से आपको संलंकृत किया था।
 
वर्तमान में हिन्‍दी विज्ञान कथा के क्षेत्र में वर्तमान में हिन्‍दी विज्ञान कथाकारों की एक बड़ी जमात सक्रिय नजर आती है। इन रचनाकारों में [[अर‍विंद मिश्र]], [[देवेन्‍द्र मेवाड़ी]], [[राजीव रंजन उपाध्‍याय]], [[जाकिर अली रजनीश]], [[हरीश गोयल]], [[शुकदेव प्रसाद]], [[जीशान हैदर जैदी]], [[मनीष मोहन गोरे]], [[साबिर हुसैन]], [[कल्‍पना कुलश्रेष्‍ठ]], [[विष्‍णु प्रसाद चतुर्वेदी]] आदि के नाम मुख्‍य रूप से लिये जा सकते हैं।
 
== इन्हें भी देखें ==