"बिहारशरीफ": अवतरणों में अंतर
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'''स्कूल''' <br />
# जिला हाई स्कूल <br />
# आदर्श हाई स्कूल <br />
# बडी पहाडी हाई स्कूल <br />
# प्रयाग लाल साहु उच्च बिधालय (सोहसराय)
# सवोदँय उच्च बिधालय (सोहसराय)
'''कॉलेज''' <br />
# नालंदा कॉलेज (मगध विश्वविद्यालय) <br />
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# नालंदा महिला कॉलेज (मगध विश्वविद्यालय) <br />
# पटेल कॉलेज (मगध विश्वविद्यालय) <br />
== आर्थिक ==
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=== विवाह ===
अधिकतर शादियां माता-पिता के द्वारा ही निर्धारित-निर्देशानुसार होती है । विवाद में संतान की इच्छा की मान्यता परिवार पर निर्भर करती है । विवाह को पवित्र माना जाता है और तलाक की बात सोचना (मुस्लिम परिवारों में भी) एक सामाजिक अपराध समझा जाता है। शादियाँ उत्सव की तरह आयोजित होती है और इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भरमार रहती है। कुछेक पर्वों को छोड़ दिया जाय तो वास्तव में विवाह के अवसर पर ही लोक-कला की सर्वोत्तम झांकी दिखाई देती है। इस अवसर पर किए गए खर्च और भोजों की अधिकता कई परिवारों में विपन्नता का कारण बनता है। दहेज का चलन ज्यादातर [[हिंदू]] एवं [[मुस्लिम]] परिवारों में बना हुआ है।
=== पर्व-त्यौहार ===
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बिहारशरीफ को केन्द्रीय बिहार के मिष्ठान्नों तथा मीठे पकवानों के लिए भी जाना जाता है । इनमें [[खाजा]], [[मावे का लड्डू]], [[मोतीचूर के लड्डू]], [[काला जामुन]], [[केसरिया पेड़ा]], [[परवल की मिठाई]], [[खोये की लाई]] और [[चना मर्की]] का नाम लिया जा सकता है । इन पकवानो का मूल इनके सम्बन्धित शहर हैं जो कि बिहारशरीफ के निकट हैं, जैसे कि [[सिलाव]] का खाजा, [[बाढ]] का मावे का लाई, [[मनेर]] का [[लड्डू]], विक्रम का काला जामुन, [[गया]] का केसरिया पेड़ा, [[बख्तियारपुर]] का खोये की लाई पटना का चना मर्की, [[बिहिया]] की पूरी इत्यादि उल्लेखनीय है । वैसे यहा की रबरी काफी मशहूर है।
इसके अतिरिक्त इन पकवानों का प्रचलन भी काफी है -
* '''[[पुआ]]''', - मैदा, दूध, घी, चीनी मधु इत्यादि से बनाया जाता है ।
* '''[[पिठ्ठा]]''' - चावल के चूर्ण को पिसे हुए चने के साथ या खोवे के साथ तैयार किया जाता है ।
* '''[[तिलकुट]]''' - जिसे बौद्ध ग्रंथों में पलाला नाम से वर्णित किया गया है, तिल तथा चीनी गुड़ बनाया जाता है ।
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