"आदर्शवाद": अवतरणों में अंतर
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==नि:श्रेयस का स्वरूप==
नि:श्रेयस या सर्वोच्च आदर्श के स्वरूप के संबंध में सभी इससे सहमत हैं कि यह चेतना से संबद्ध है, परंतु
==आदर्शवाद की मान्य धारणाएँ==
मूल्यों का अस्तित्व, उनमें श्रेष्ठता का भेद ओर सर्वश्रेष्ठ मूल्य का अस्तित्व आदर्शवाद की मौलिक धारणा है। इससे संबद्ध कुछ अन्य धारणाएँ भी आदर्शवादियों के लिए मान्य हैं। इनमें से हम यहाँ तीन पर विचार करेंगे:
*(१) सामान्य का पद विशेष से ऊँचा है। प्रत्येक बुद्धिवंत बुद्धिवंत होने के नाते भद्र में भाग लेने का अधिकारी
*(२) आध्यात्मिक भद्र का मूल्य प्राकृतिक भद्र से अधिक है।
*(३) बुद्धिवंत प्राणी (मनुष्य) में भद्र को सिद्ध करने की क्षमता है। मनुष्य स्वाधीन कर्ता है।
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===स्वार्थ और सर्वार्थ===
सामान्य और विशेष का भेद स्वार्थवाद और सर्वार्थवाद के विवाद में प्रकट होता है। भोगवाद (सुखवाद) ने स्वार्थ से आरंभ किया, परंतु शीघ्र ही इसके
===आध्यात्मिक और प्राकृतिक मूल्य===
इस विषय में कांट का कथन प्रसिद्ध है: ''जगत में ओर इसके परे भी हम शिवसंकल्प के अतिरिक्त किसी वस्तु का भी चिंतन नहीं कर सकते, जो बिना किसी शर्त के शुभ या भद्र हो।''
[[थॉमस हिल ग्रीन|टामस हिल ग्रीन]] ने विस्तार से यह बताने का यत्न किया है कि आधुनिक नैतिक भावना प्राचीन यूनान की भावना से इन दो बातों में बहुत आगे बढ़ी है-मनुष्य और मनुष्य में भेद कम हो गया है,और जीवन में आध्यात्मिक पक्ष अग्रसर हो रहा है।
===नैतिक स्वाधीनता===
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