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अनुनाद सिंह (चर्चा | योगदान) |
अनुनाद सिंह (चर्चा | योगदान) (→संरचना) |
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कामन्दकीय नीतिसार में कुल मिलाकर २० सर्ग (अध्याय) तथा ३६ प्रकरण हैं।
*'''प्रथम सर्ग''' : राजा के इंन्द्रियनियंत्रण सम्बन्धी विचार
*'''द्वितीय सर्ग''' : शास्त्रविभाग, वर्णाश्रमव्यवस्था व दंडमाहात्म्य
*'''तृतीय सर्ग''' : राजा के सदाचार के नियम
*'''चौथा सर्ग''' : राज्य के सात अंगों का विवेचन
*'''पाँचवाँ सर्ग''' : राजा और राजसेवकों के परस्पर सम्बन्ध
*'''छठा सर्ग''' : राज्य द्वारा दुष्टों का नियन्त्रण, धर्म व अधर्म की व्याख्या
*'''सातवाँ सर्ग''' : राजपुत्र व अन्य के पास संकट से रक्षा करने की दक्षता का वर्णन
*'''आठवें से ग्यारहवाँ सर्ग''' : विदेश नीति; शत्रुराज्य, मित्रराज्य और उदासीन राज्य ; संधि, विग्रह, युद्ध ; साम, दान, दंड व भेद - चार उपायों का अवलंब कब और कैसे करना चाहिए
*'''बारहवाँ सर्ग''' : नीति के विविध प्रकार
*'''तेरहवाँ सर्ग''' : दूत की योजना ; गुप्तचरों के विविध प्रकार ; ; राजा के अनेक कर्तव्य
*'''चौदहवाँ सर्ग''' : उत्साह और आरम्भ (प्रयत्न) की प्रशंसा ; राज्य के विविध अवयव
*'''पन्द्रहवाँ सर्ग''' : सात प्रकार के राजदोष
*'''सोलहवाँ सर्ग''' : दूसरे देशों पर आक्रमण और आक्रमणपद्धति
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==बाहरी कड़ियाँ==
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