देवर्षि रमानाथ शास्त्री ने चालीस से अधिक ग्रन्थ लिखे हैं जिनमें प्रमुख हैं -<br />
“शुद्धाद्वैत.शुद्धाद्वैत दर्शन (द्वितीय भाग)”, प्रकाशक - बड़ा मन्दिर, भोईवाड़ा, मुंबई, 1917 <br />
“रासलीला.रासलीला-विरोध परिहार”परिहार, प्रकाशक - विद्याविभाग, नाथद्वारा, 1932<br />
“ब्रह्मसम्बन्ध.ब्रह्मसम्बन्ध अथवा पुष्टिमार्गीय दीक्षा”दीक्षा, प्रकाशक - सनातन भक्तिमार्गीय साहित्य सेवा सदन, मथुरा, सन् 1932<br />
“श्रीकृष्णावतार.श्रीकृष्णावतार किं वा परब्रह्म का आविर्भाव”आविर्भाव, प्रकाशक - शुद्धाद्वैत पुष्टिमार्गीय सिद्धान्त कार्यालय, नाथद्वारा, 1935<br />
“भक्ति.भक्ति और प्रपत्ति का स्वरूपगत भेद”भेद, प्रकाशक - शुद्धाद्वैत सिद्धान्त कार्यालय, नाथद्वारा, 1935<br />
“श्रीकृष्णाश्रय”.श्रीकृष्णाश्रय, प्रकाशक - पुष्टिसिद्धान्त भवन, परिक्रमा, नाथद्वारा, 1938<br />
“ईश्वर.ईश्वर दर्शन”दर्शन, प्रकाशक - विद्याविभाग, नाथद्वारा, 1939<br />
“पुष्टिमार्गीय.पुष्टिमार्गीय स्वरूपसेवा”स्वरूपसेवा, प्रकाशक - विद्याविभाग, नाथद्वारा, 1943<br />
“श्रीकृष्णकी.श्रीकृष्णकी लीलाओं पर शास्त्रीय प्रकाश”प्रकाश (प्रथम भाग), विद्याविभाग, नाथद्वारा, 1944<br />
“ब्रह्मवाद”.ब्रह्मवाद, प्रकाशक - पुष्टिमार्गीय कार्यालय, नाथद्वारा, 1945<br />
“पुष्टिमार्गीय.पुष्टिमार्गीय नित्यसेवा स्मरण”स्मरण, प्रकाशक - श्रीवल्लभाचार्य जनकल्याण प्रन्यास, मथुरा, 1989<br />
“अनुग्रह.अनुग्रह मार्ग (सुबोधिनीजी के अनुसार)”, प्रकाशक - श्रीवल्लभाचार्य जनकल्याण प्रन्यास, मथुरा, 1994<br />
“शुद्धाद्वैत.शुद्धाद्वैत दर्शन”दर्शन (तीन भाग), प्रकाशक - विद्या विभाग, नाथद्वारा , नया संस्करण, 2000<br />
उक्त ग्रंथों के अतिरिक्त आपके द्वारा लिखे अन्य प्रमुख ग्रंथों में “सिद्धांतरहस्यविवृत्ति”, “शुद्धाद्वैत सिद्धान्तसार” (हिन्दी – गुजराती), “त्रिसूत्री”, “गीता के सिद्धान्तों पर शांकर एवं वाल्लभ मत की तुलना”, “षोडशग्रन्थ टीका”, “स्तुतिपारिजातम्” (संस्कृत में), “दर्शनादर्शः” (संस्कृत में), “गीतातात्पर्य”, “श्रीमद्वल्लभाचार्य”, “भगवानक्षरब्रह्म”, “श्रीमद्भगवतगीता (हिन्दी अनुवाद)”, “राधाकृष्णतत्व”, “सुबोधिनीजी का हिन्दी विशद अनुवाद”, “छान्दोग्योपनिषद् भाष्यं (संस्कृत में) आदि ग्रन्थ भी सम्मिलित हैं। आपने सन् 1942 में “गीता की समालोचना” नामक ग्रन्थ लिखना प्रारम्भ किया जो आपके देहावसान के केवल एक सप्ताह पहले ही 1943 में पूरा हुआ।
3. “शुद्धाद्वैत दर्शन (द्वितीय भाग)”, प्रकाशक - बड़ा मन्दिर, भोईवाड़ा, मुंबई, 1917.<br />
4. “ब्रह्मसम्बन्ध अथवा पुष्टिमार्गीय दीक्षा”, प्रकाशक - सनातन भक्तिमार्गीय साहित्य सेवा सदन, मथुरा, सन् 1932.<br />
5. “ब्रह्मवाद”, प्रकाशक - पुष्टिमार्गीय कार्यालय, नाथद्वारा, 1945.<br />
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