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{{स्रोतहीन|date=फ़रवरी 2013}}
[[हिन्दू काल गणना]] के अनुसार मास में ३० तिथियाँ होतीं हैं, जो दो पक्षों में बंटीं होती हैं। चन्द्र मास एक अमावस्या के अन्त से शुरु होकर दूसरे अमावस्या के अन्त तक रहता है. अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्र का भौगांश बराबर होता है. इन दोनों ग्रहों के भोंगाश में अन्तर का बढना ही तिथि को जन्म देता है. तिथि की गणना निम्न प्रकार से की जाती है.
तिथि = चन्द्र का भोगांश - सूर्य का भोगांश / ( Divide) 12.
* [[शुक्ल पक्ष]] में १-१४ और [[पूर्णिमा]]
* [[कृष्ण पक्ष]] में १-१४ और [[अमावस्या]]
ये १-१४ तक तिथियों को निम्न कहते हैं:-
{| class="wikitable"
|-
!मूल नाम
!तद्भ्व नाम
|-
|[[पूर्णिमा]]
| [[पूरनमासी]]
|-
|[[प्रतिपदा]]
| [[पड़वा]]
|-
|[[द्वितीया]]
| [[दूज]]
|-
|[[तृतीया]]
| [[तीज]]
|-
|[[चतुर्थी]]
| [[चौथ]]
|-
|[[पंचमी]]
| [[पंचमी]]
|-
|[[षष्ठी]]
| [[छठ]]
|-
|[[सप्तमी]]
| [[सातें]]
|-
|[[अष्टमी]]
| [[आठें]]
|-
|[[नवमी]]
| [[नौमी]]
|-
|[[दशमी]]
| [[दसमी]]
|-
|[[एकादशी]]
| [[ग्यारस]]
|-
|[[द्वादशी]]
| [[बारस]]
|-
|[[त्रयोदशी]]
| [[तेरस]]
|-
|[[चतुर्दशी]]
| [[चौदस]]
|-
|[[अमावस्या]]
| [[अमावस]]
|-
|}
हमारे पर्व-त्योहार हिन्दी तिथियों के अनुसार ही होते हैं, इसके पीछे एक विशेष कारण है। पर्व-त्योहारों में किसी विशेष देवता की पूजा की जाती है। अतः स्वाभाविक है कि वे जिस तिथि के अधिपति हों, उसी तिथि में उनकी पूजा हो। यही कारण है कि उस विशेष तिथि को ही उस विशिष्ट देवता की पूजा की जाए। तिथियों के स्वामी संबंधी वर्णन निम्न है :
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
{{हिन्दू काल गणना}}
[[श्रेणी:पंचांग]]
[[श्रेणी:तिथि]]
|