"शिव ताण्डव स्तोत्र": अवतरणों में अंतर

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'''शिव ताण्डव स्तोत्र''' ([[संस्कृत]]:शिवताण्डवस्तोत्रम्) महान विद्वान एवं परम शिवभक्त लंकाधिपति [[रावण]] द्वारा विरचित भगवान [[शिव]] का [[स्तोत्र]] है।
 
रावण शिव के इतने बड़े भक्त थे कि प्रभु को वह कैलाश से लंका ले जाना चाहते थे, रावण द्वारा पूजन करवाने शिव रोज़ लंका जाते थे।
एक दिन रावण भगवान को हमेशा के लिये लंका ले जाने के लिये कैलाश गए, और यह सोचकर कि मैं पूरे [[कैलाश ]]पर्वत को लंका ले जाऊंगा, उसने कैलाश को हाथों में उठा लिया। भगवान शिव ने अपने पैर के अँगूठे को कैलाश की भूमि में लगाया और दबाया जिससे रावण का हाथ कैलाश के नीचे दब गया।
इसी कारण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये वहीँ पर रावण ने शिव ताण्डव स्तोत्र की रचना की थी।
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