"ओरहान पामुक": अवतरणों में अंतर

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"परेशानी ही परेशानी, तलाक, पिता मर रहे थे, आर्थिक परेशानी, ये परेशानी, वो परेशानी, लेकिन मैं जान गया था की अगर मैं यहीं फंसा रहा तो जरूर मानसिक विकलांगता में चला जाऊंगा, इसलिए मैं रोज़ सुबह उठकर शावर के नीचे नहाता था और लिखने बैठ जाता था, इस उद्देश्य के साथ की मुझे एक अच्छी और सुन्दर किताब लिखनी है!" - पामुक (साक्षात्कार-द हिन्दू)
 
ओरहान पामुक मुख्यतः पूरब और पश्चिम के बीच की वैचारिक टकरावों पर लिखने के लिए जाने जाते हैं। ओरहान पामुक को सच्ची सफलता तब मिली जब 'माई नेम इज रेड' किताब दुनिया भर में पसंद की गई ! यह एक दार्शनिक मर्डर मिस्ट्री है, जिसमें बहुत ही कलात्मक ढंग से 15 वीं सदी के इस्तांबुल में चित्रकारों के आपसी मुद्दों को उठाया गया है। इस पुस्तक को 'अंतर्राष्ट्रीय इम्पैक डब्लिन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। उसके बाद उन्होंने 'स्नो' 'म्यूज़ियम आफ इनोसेंस' 'इस्तांबुल,मेमोरी एंड द सिटी' आदि विविधता भरी बेहतरीन किताबें अपने पाठकों को दी, जो अंतर्राष्टीय स्तर पर बेस्टसेलर साबित हुई ! ओरहान पामुक की पुस्तकों का हिंदी में अनुवादओरहान हुआपामुक हैकी -दो उनकी तीन पुस्तकें 'माई नेम इज़ रेड' 'स्नो' और 'द ब्लैक बुक' के हिंदी संस्करणकिताबें पेंगुइन बुक्स नेसे प्रकाशित कियेहुई हैं।हैं, 'माई नेम इज़इज रेड' पुस्तक(अनुपलब्ध) कास्नो हिंदी(उपलब्ध) नाम 'मेरे क़त्ल की दास्तान' हैं।है !
 
पामुक एक प्रयोगधर्मी उपन्यासकार हैं जो साहित्य को स्वतंत्र कर्म मानते हुए किसी भी प्रकार की परिपाटी और प्रतिबद्धता को स्वीकार नहीं करते ! "मैं उस बच्चे की तरह हूँ, जो अपने पिता को बताना चाहता है की देखो मैं कितना होशियार हूँ!"(साक्षात्कार- पेरिस रिव्यू)