"माया": अवतरणों में अंतर
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== बाहरी सम्पर्क ==
ईश्वर की तीन माया हैं जिसमें जीव आत्मा का 1॰ दिल=माया, २॰ दृष्टि=महामाया, ३॰ चेतना/बुद्धि = योगमाया ।
माया बनी नारी, महामाया बनी nature /प्रक्रति और योगमाया बनी हमारी आत्मा । माया का स्वरूप साक्षात/भौतिक है जबकि महामाया भ्रम है। और योगमाया सत्य /ईश्वर है । माया बनी मोह, महामाया बनी आनंद और योगमाया बनी परम आनंद का कारण । मैने सभी जीव आत्मा को ये प्रदान की हैं ।
जो मानेगा वो जानेगा
अलक निरंजन भय भव भंजन ।
[[श्रेणी:दर्शन]]
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